“चैतन्य बघेल की बेल पर ब्रेक: जेल जाने से पहले पिता भूपेश को सौंपी खेती की जिम्मेदारी”!

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज बंद है। 22 जुलाई को पेशी के दौरान वकील के सामने चैतन्य ने पिता भूपेश से कहा कि, मक्का रखा हुआ है, उसका रेट आ गया है। उससे ज्यादा कीमत नहीं मिलेगी, बेच दीजिएगा।

बियारे के टिन शेड में धान रखा है, उसे अच्छे से रखवा दीजिए। बारिश से नमी न लग जाए और उसमें दागी न आए। वहीं, खेत में रोपा लगा है, उसमें कीटनाशक नहीं डाला गया है। उसे भी डलवा दीजिए। बताया जा रहा है कि, चैतन्य बघेल को 2 महीने तक बेल मिलना आसान नहीं है।

कटघरे में बेटा, पास में खड़े रहे भूपेश

22 जुलाई को सुनवाई के दौरान चैतन्य बघेल कटघरे में खड़े थे। उनके पिता भूपेश बघेल पूरे समय उनके बगल में कटघरे के पास खड़े रहे। कोर्ट ने जैसे ही चैतन्य को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश सुनाया। उनके वकील फैजल रिजवी उन्हें जानकारी देने पहुंचे। इसी बीच उन्होंने बेटे-पिता के बीच हुई बातचीत को सुना।

मुस्कुराता रहा चैतन्य, ED भी हैरान

फैजल रिजवी ने बताया कि, चैतन्य बघेल शुरू से ही बिल्कुल सामान्य रहे हैं। गिरफ्तारी के दिन से लेकर जेल जाने वाले दिन भी उनकी मुस्कुराहट बनी रही। अक्सर क्लांइट कोर्ट में पेशी के समय घबराए रहते हैं, चेहरे पर तनाव होता है। लेकिन चैतन्य मुस्कुरा रहे थे।

ईडी ऑफिस में कस्टोडियल रिमांड के दौरान भी उनका यही स्थिति में थे। जब हम उनसे मिलने ED ऑफिस गए थे, तब भी वे हमसे हंस कर बात कर रहे थे। ED के अधिकारी भी परेशान थे कि चैतन्य बघेल आखिर हंस क्यों रहा है। न रिमांड में घबराया, न कोर्ट में

वकील से चैतन्य बोले- एक-डेढ़ साल में तो निकल ही जाऊंगा ना

फैजल ने कहा कि, क्लाइंट वकील से अपने दिल की सारी बातें कहता है, जो वह अपने परिवार से भी नहीं कहता है। जब उन्होंने चैतन्य से पूछा कि जेल में खाने-पीने को लेकर दिक्कत तो नहीं होगी, तो चैतन्य जवाब दिया मैं किसान हूं, धूप-बारिश और ठंड में भी खेत जाता हूं। मुझे वहां रहने में दिक्कत नहीं है। मैं जेल में दाल-चटनी खाकर भी रह लूंगा।

चैतन्य ने वकील से कहा कि, मुझे जेल की कोई फिक्र नहीं है। उन्होंने खुद से यह बात भी कही कि मैं एक-डेढ़ साल में तो जेल से निकल ही जाऊंगा ना।

ED के आरोपों को बताया तथ्यहीन

फैजल रिजवी ने कहा कि, ED की रिमांड एप्लिकेशन में लगाए गए कई आरोप तथ्यहीन हैं। ईडी ने कहा कि, चैतन्य ने एक ज्वेलर से 5 करोड़ का बिना ब्याज के लोन लिया, जबकि ED के पास फरवरी 2025 से सारे दस्तावेज हैं कि चैतन्य ने उस लोन पर ब्याज समेत भुगतान किया है।

इस केस में अब आगे क्या होगा ?

चैतन्य बघेल 4 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में रायपुर सेंट्रल जेल में रहेंगे। कानून के जानकारों का कहना है कि, प्रवर्तन निदेशालय को 60 दिन के अंदर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करनी होगी। उसके बाद ही इस मामले में जमानत याचिका पर विचार होगा। जानकारों को कहना है कि चैतन्य को 60 दिन तक जेल में ही रहना पड़ सकता है।

चैतन्य बघेल को ज्यूडिशियल रिमांड खत्म होने के बाद 4 अगस्त को फिर से कोर्ट में पेश किया जाएगा। सुनवाई के दौरान ED की ओर से उनकी ज्यूडिशियल रिमांड बढ़ाने की मांग की जा सकती है।

ब जानिए ED ने चैतन्य पर क्या आरोप लगाए हैं?

ED के अनुसार, लीकर स्कैम में पूछताछ में शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू ने EOW को बयान दिया था कि, उसने और चैतन्य बघेल ने मिलकर 1000 करोड़ से ज्यादा घोटाले की रकम को हैंडल किया। यह कैश अनवर ढेबर ने दीपेन चावड़ा को पहुंचाया। यह पैसा बाद में राम गोपाल अग्रवाल को दिया गया।

इसकी व्यवस्था चैतन्य बघेल के साथ मिलकर की गई और चैतन्य बघेल के कहने पर 1000 करोड़ में से 100 करोड़ नकद केके श्रीवास्तव को दिया गया। पप्पू बंसल ने पूछताछ में ये भी स्वीकार किया है कि शराब घोटाले से उसे 3 महीने में 136 करोड़ रुपए मिले हैं। अनवर ढेबर और नीतेश पुरोहित के बीच चैट में हुई बातचीत में इसकी जानकारी है।

कौन है लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ ​​​​​​पप्पू बंसल

पप्पू बंसल दुर्ग भिलाई का शराब कारोबारी है। प्रॉपर्टी डीलर का काम करने के दौरान शराब कारोबार से जुड़ा। भूपेश बघेल के करीबी होने के साथ ही कोयले का भी कारोबार है।

चैतन्य के प्रोजेक्ट में 13-15 करोड़ इन्वेस्ट

ED ने अपनी जांच में पाया कि चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए।

प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया गया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।

फर्जी फ्लैट खरीदी के जरिए पैसे की हेराफेरी

ED ने अपनी जांच में पाया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। ढिल्लन ने ये फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम पर खरीदे लेकिन पेमेंट त्रिलोक ढिल्लो ने खुद दिया।

ED ने जब ढिल्लन के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि ये फ्लैट की खरीदी उन्हीं के नाम पर हुई, लेकिन पैसे ढिल्लो ने दिए। ये सारा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ। ED ने कहा कि ब्लैक को लीगल करने के लिए यह एक पूर्व-योजना के तहत किया गया लेन-देन था। इसका मकसद पैसे को छिपाकर चैतन्य बघेल तक पहुंचाना था

5 करोड़ कैश के बदले फर्जी ट्रांसफर

ED के मुताबिक भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए उधार दिए, लेकिन ED की जांच में सामने आया कि जो 5 करोड़ रुपए चैतन्य की दो कंपनियों को लोन के रूप में दिया गया ।

बाद में इसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे, जिसकी कीमत 80 लाख थी। ED ने बताया कि यह पैसा शराब घोटाले से आया हुआ कैश था। यह पैसा बैंक के जरिए ट्रांसफर किया गया। ताकि कैश को लीगल दिखाया जा सके।

पैसा छुपाने के लिए फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल

ED का दावा है कि चैतन्य बघेल ने घोटाले का पैसा पाने के लिए दूसरे लोगों और कंपनियों का इस्तेमाल किया ताकि ED और अन्य एजेंसियां ट्रैक न कर सकें। जैसे ढिल्लन सिटी मॉल में पैसा आया, फिर ढिल्लन ड्रिंक्स से कर्मचारियों को पैसा ट्रांसफर हुआ, फिर वही पैसा बघेल डेवलपर्स को दिया गया। ED का दावा है कि चैतन्य बघेल के पास 16.70 करोड़ के अवैध घोटाले के पैसे आए।

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