छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मौसम ने करवट ली है। प्रदेश के सभी जिलों में अगले दो दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र सक्रिय हो चुका है, जिससे समुद्र से लगातार नमी आ रही है और इसका सीधा असर प्रदेश के मौसम पर पड़ रहा है। उत्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ में भारी से अति भारी बारिश की संभावना जताई गई है। खासकर बस्तर, रायगढ़, जशपुर, कोरबा, बलरामपुर, सूरजपुर, कांकेर, कोरिया, बिलासपुर और महासमुंद जैसे जिलों में इसका प्रभाव अधिक रहेगा।
बीते 24 घंटों में भी राज्य के कई हिस्सों में तेज बारिश दर्ज की गई है। अब तक प्रदेश में औसतन 500 मिमी से अधिक वर्षा हो चुकी है, जो सामान्य से करीब 4 फीसदी ज्यादा है। आगामी दिनों में बारिश की गतिविधियों में और तेजी आने की संभावना है, जिससे जलभराव और निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।
मौसम विभाग ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। खासकर निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। किसानों के लिए यह बारिश लाभकारी मानी जा रही है, लेकिन लगातार तेज बारिश से खेतों में पानी भरने की आशंका भी बनी हुई है।
जशपुर की बहादुर मां का संघर्ष: तीन दिन के नवजात को पीठ पर बांधकर पार किया उफनता नाला
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से एक साहसिक और भावनात्मक घटना सामने आई है, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है। जशपुरनगर के गायलूंगा लोटाडांड़ की रहने वाली किरणबाई ने हाल ही में कुनकुरी अस्पताल में एक बेटे को जन्म दिया था। डिलीवरी के तीन दिन बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह अपने पति के साथ घर के लिए निकली।
घर लौटते वक्त रास्ते में अचानक बारिश तेज हो गई और ढेंगुरजोर का नाला उफान पर आ गया। पुल नहीं था और पानी बहुत तेज बह रहा था। लेकिन रुकने की कोई सुविधा नहीं थी, न ही वापस लौटने का कोई विकल्प। ऐसे में किरणबाई ने हिम्मत दिखाई। उसने अपने तीन दिन के नवजात शिशु को एक कपड़े में बांधा और अपनी पीठ पर कसकर बांध लिया।
पति और एक ग्रामीण की मदद से महिला ने जान हथेली पर रखकर उफनते नाले को पार किया। उसके बाद दो किलोमीटर का सफर पैदल तय कर किसी तरह अपने घर पहुंची। यह कहानी न सिर्फ मां की ममता की मिसाल है, बल्कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं की साहसिकता और संघर्षशीलता को भी दर्शाती है।
यह घटना उस असुविधा और जोखिम की भी तस्वीर है, जिससे ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों के लोग आज भी जूझते हैं। बारिश के मौसम में पुल-पुलियों की कमी, खराब सड़कें और बुनियादी सुविधाओं का अभाव उनकी जिंदगी को खतरे में डाल देता है।