कलेक्टोरेट के अंतर्गत आने वाले सभी 54 सरकारी विभागों में अब कोई भी काम मैन्युअली नहीं किया जाएगा। सभी कार्यालयों में कार्यप्रणाली को पूरी तरह से डिजिटल और पेपरलेस बनाने के लिए राज्य सरकार ने “प्रोजेक्ट दक्ष” की शुरुआत की है। इस परिवर्तन को लागू करने के लिए कलेक्टोरेट परिसर स्थित मल्टीलेवल पार्किंग के टॉप फ्लोर पर बने बीपीओ सेंटर में दिन-रात ट्रेनिंग सत्र चल रहे हैं। यहां का दृश्य सुबह से ही देखने लायक होता है, जहां सरकारी स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षक और विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी कंप्यूटरों के सामने बैठकर डिजिटल स्किल्स सीख रहे हैं।
प्रोजेक्ट दक्ष के तहत हर विभाग को मिल रही अलग-अलग ट्रेनिंग
हर दिन एक विभाग के अफसरों और उनके अधीनस्थ कर्मचारियों को 25-25 के बैच में ट्रेनिंग दी जा रही है। सुबह 10 बजे से ही बीपीओ सेंटर में अधिकारियों का आना शुरू हो जाता है और उन्हें कम से कम एक घंटे की ऑन-हैंड प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है। प्रशिक्षण पूरी तरह डिजिटल रूप में हो रहा है, जिसमें कंप्यूटर, मोबाइल संचालन, साइबर सुरक्षा, डेटा की गोपनीयता, डिजिटल दस्तावेज़ों का प्रबंधन, ईमेल संचालन और एमएस ऑफिस जैसे महत्वपूर्ण टूल्स की जानकारी दी जा रही है। ट्रेनिंग के बाद हर प्रतिभागी की परीक्षा ली जाएगी, जिसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा। वहीं जिन प्रतिभागियों को किसी स्किल में कठिनाई आती है, उनके लिए अतिरिक्त सत्र भी रखे जाएंगे।
1 अगस्त से हर दफ्तर में ऑनलाइन ही चलेगी फाइलें, नोटशीट और आदेश
सरकार का लक्ष्य है कि 1 अगस्त 2025 से सभी शासकीय दफ्तरों में केवल ऑनलाइन मोड में ही कार्य किया जाए। फाइलों का संचालन, नोटशीट बनाना, आदेश जारी करना—यह सभी कार्य अब डिजिटल रूप से होंगे। इससे न केवल कागज़ का उपयोग घटेगा, बल्कि आदेश पारित करने की प्रक्रिया भी तेज होगी। अधिकारियों का दावा है कि अब कोई भी शासनादेश एक ही दिन में संबंधित पक्ष तक पहुंच सकेगा। इस बदलाव से प्रशासनिक कार्यों की पारदर्शिता और कार्यक्षमता दोनों में सुधार की उम्मीद की जा रही है।
कलेक्टर की सख्ती: प्रशिक्षण अनिवार्य, कोई बहाना नहीं चलेगा
प्रशिक्षण को लेकर कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि यह अनिवार्य है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही या बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा। बीपीओ सेंटर में प्रशिक्षण के हर सत्र की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। कौन विभाग से कितने लोग उपस्थित हुए, कौन-कौन सा प्रशिक्षण लिया गया और किन लोगों को दोबारा ट्रेनिंग की ज़रूरत है—इसकी पूरी डिजिटल ट्रैकिंग रखी जा रही है।
डिजिटल शासन की ओर एक मजबूत कदम
“प्रोजेक्ट दक्ष” न केवल डिजिटल इंडिया की दिशा में छत्तीसगढ़ का बड़ा कदम है, बल्कि यह प्रशासनिक सुधार का भी एक बड़ा उदाहरण बन सकता है। इससे जहां सरकारी कर्मचारियों में डिजिटल दक्षता बढ़ेगी, वहीं आम जनता को भी सरकारी सेवाएं जल्द और सुलभ रूप में उपलब्ध होंगी। आने वाले समय में यह पहल पूरे प्रदेश के लिए एक मॉडल प्रोजेक्ट साबित हो सकती है।