नई दिल्ली/जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद ने संसद के मानसून सत्र में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई 2025 को होगी, जो कानूनी और राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है।
️ पटियाला हाउस कोर्ट ने दी थी पैरोल, लेकिन…
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर राशिद को पटियाला हाउस कोर्ट ने पहले ही संसद सत्र में शामिल होने के लिए 24 जुलाई से 4 अगस्त तक हिरासत में पैरोल दी थी। हालांकि, यह सशर्त पैरोल थी, जिसमें उन्हें संसद तक आने-जाने, ठहरने और सुरक्षा आदि का खर्च खुद वहन करना था — जो कि प्रतिदिन करीब 1.44 लाख रुपये था।
इस आदेश से असंतुष्ट होकर इंजीनियर राशिद ने दिल्ली हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका दायर की, ताकि वे बिना भारी खर्च के संसद में जनप्रतिनिधि के तौर पर अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें।
एनआईए कोर्ट ने खारिज की थी जमानत याचिका
राशिद की यह मांग एनआईए की विशेष अदालत ने पहले ही खारिज कर दी थी। अदालत ने दलील दी थी कि वे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं और जेल से संसद जाना सिर्फ पैरोल के जरिए ही संभव होगा। लेकिन अब जब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस याचिका पर विचार करते हुए NIA को नोटिस जारी कर दिया है, तो मामला नई दिशा में बढ़ गया है।
️♂️ क्या है इंजीनियर राशिद का मामला?
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2017 में गिरफ्तारी: शेख राशिद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने टेरर फंडिंग के मामले में 2017 में गिरफ्तार किया था।
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UAPA के तहत आरोप: उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया।
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2019 से जेल में: वे 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
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लोकसभा में जीत: जेल में रहते हुए ही उन्होंने 2024 के आम चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला को हराकर बारामूला से भारी जीत दर्ज की और सांसद बने।
⚖️ जिन धाराओं में केस दर्ज है
इंजीनियर राशिद पर भारतीय दंड संहिता की निम्न धाराओं के तहत गंभीर आरोप हैं:
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धारा 120बी: आपराधिक साजिश
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धारा 121: सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना
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धारा 124ए: देशद्रोह
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साथ ही, UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) की कई धाराएं
29 जुलाई को दोहरी सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की खंडपीठ अब 29 जुलाई 2025 को दो महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई करेगी:
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इंजीनियर राशिद की अंतरिम जमानत याचिका
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उनकी नियमित ज़मानत याचिका
यह सुनवाई इसलिए भी खास होगी क्योंकि यदि अदालत अंतरिम जमानत की अनुमति देती है, तो राशिद संसद के मानसून सत्र में स्वतंत्र रूप से भाग ले सकेंगे, जबकि वर्तमान में वह सिर्फ पुलिस कस्टडी में ही संसद आ-जा सकते हैं।
जनता के जनप्रतिनिधि बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा की बहस
इस पूरे प्रकरण ने एक गंभीर बहस को जन्म दिया है — क्या किसी निर्वाचित सांसद को उसकी संसदीय भूमिका निभाने से रोकना लोकतंत्र के खिलाफ है, या क्या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में नियमों में कोई ढील नहीं दी जा सकती?
यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि राशिद को जनता ने चुनकर संसद भेजा है, लेकिन वो जेल में बंद हैं और हर दिन संसद पहुंचने के लिए भारी रकम भी खुद खर्च करनी पड़ रही है।