दिल्ली: देश की राजधानी से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। उत्तर-पश्चिम दिल्ली के पूंठ खुर्द इलाके में एक 17 वर्षीय नाबालिग गर्भवती किशोरी ने तीसरी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। यह मामला सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि एक ऐसे भयावह सामाजिक और मानसिक शोषण की तस्वीर पेश करता है, जो लिव-इन रिलेशनशिप की अंधी गलियों में छिपा हुआ है।
घटना की पृष्ठभूमि:
पुलिस के मुताबिक, किशोरी आठ महीने की गर्भवती थी और बीते कुछ समय से बिहार के ही रहने वाले एक मजदूर युवक पिंकू के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी। 19 जुलाई की दोपहर करीब 12 बजे उसने अपनी बहन के घर की तीसरी मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
उस वक्त उसकी बड़ी बहन घर पर नहीं थी। स्थानीय लोगों ने तुरंत उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां से गंभीर हालत को देखते हुए उसे रोहिणी के भगवती अस्पताल रेफर किया गया। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
लिव-इन पार्टनर पर गंभीर आरोप:
इस मामले में किशोरी की बड़ी बहन ने चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। बहन का दावा है कि आरोपी युवक पिंकू ने उसकी बहन को जबरन अपने साथ रखा हुआ था और उसका लंबे समय से शारीरिक शोषण कर रहा था। परिवार की जानकारी के बिना ही वह किशोरी को अपने साथ रख रहा था और मानसिक दबाव बना रहा था।
घटना के बाद से ही आरोपी पिंकू फरार है। पुलिस ने किशोरी की बहन की शिकायत पर उसके खिलाफ IPC की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 64(1) (बलात्कार की सजा) और POCSO Act की धारा 6 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस ने दर्ज की FIR, फरार है आरोपी:
डीसीपी हरेश्वर स्वामी के मुताबिक, “यह एक संवेदनशील और गंभीर मामला है। पुलिस हर पहलू से जांच कर रही है और आरोपी की तलाश में दबिशें दी जा रही हैं।” शुरुआती जांच में यह भी पता चला है कि किशोरी की मानसिक स्थिति बेहद दबाव में थी और शायद उसी वजह से उसने यह खौफनाक कदम उठाया।
क्या कहता है समाज, क्या उठते हैं सवाल?
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क्या लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे नाबालिगों के लिए कोई ठोस कानूनी निगरानी है?
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क्या समाज में नाबालिग लड़कियों को लेकर संवेदनशीलता केवल बयानबाज़ियों तक सीमित रह गई है?
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ऐसे मामलों में ‘मातृत्व’ और ‘किशोरावस्था’ के बीच फंसी लड़कियों को संरक्षण देने वाला सिस्टम कहां है?
न्याय की राह और जिम्मेदारियां:
यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि समाज और सिस्टम दोनों के लिए एक चेतावनी है। लिव-इन संबंधों में बढ़ते शोषण, नाबालिगों की असुरक्षा और कानून के अमल की धीमी गति — ये सभी बिंदु एक बार फिर चर्चा में हैं।
अब देखना ये होगा कि पुलिस आरोपी को कब तक पकड़ती है और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।