ऑपरेशन सिंदूर: CDS चौहान का बड़ा बयान – “युद्ध अब सिर्फ शस्त्र नहीं, शास्त्र से भी लड़े जाएंगे”!

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नई दिल्ली, 25 जुलाई 2025
भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारतीय सशस्त्र बलों की रणनीतिक दक्षता और तकनीकी श्रेष्ठता का प्रमाण बताया है। उन्होंने कहा कि भारत अब पारंपरिक जवाब की बजाय प्रोएक्टिव स्ट्राइक कैपेबिलिटी पर फोकस कर रहा है, जिसमें तकनीक, बुद्धिमत्ता और निर्णायक एक्शन — तीनों को एक साथ साधा गया।


⚔️ तीसरी सैन्य क्रांति का दौर: ‘अभिसरण युद्ध’ की परिकल्पना

दिल्ली में आयोजित रक्षा संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि भारत अब तीसरी मिलिट्री रिवोल्यूशन के युग में है, जहां युद्ध केवल हथियारों से नहीं बल्कि साइबर, सूचना, सैटेलाइट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे मोर्चों पर भी लड़े जाते हैं।

“अब का योद्धा केवल बंदूक नहीं, मस्तिष्क का भी योद्धा है। उसे ‘शस्त्र’ के साथ-साथ ‘शास्त्र’ में भी दक्ष होना चाहिए।”
– जनरल अनिल चौहान, CDS

उन्होंने ‘Convergent Warfare’ (अभिसरण युद्ध) को नई युद्ध रणनीति का आधार बताया – जिसमें पारंपरिक सैन्य कार्रवाई, साइबर हमले, ड्रोन स्ट्राइक, सूचना युद्ध और अंतरिक्ष निगरानी — सभी का समन्वित प्रयोग होता है।


ऑपरेशन सिंदूर: जवाब पाकिस्तान को, संदेश दुनिया को

ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी नरसंहार के जवाब में हुई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई थी। भारत ने इस हमले को ‘सीमा पार प्रायोजित आतंकवाद की पराकाष्ठा’ बताते हुए निर्णायक कार्रवाई की।

सीडीएस चौहान के अनुसार:

  • ऑपरेशन के तहत 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया।

  • जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के 9 प्रमुख ठिकाने तबाह किए गए।

  • पाकिस्तान को गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामरिक क्षति पहुंची।


10 मई को युद्धविराम: पाकिस्तान ने मांगी ‘सीज़फायर’ की भीख

भारत की निर्णायक और तेज कार्रवाई से हिल चुका पाकिस्तान 10 मई को झुकने पर मजबूर हुआ। पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक ने भारत से युद्ध विराम का अनुरोध किया, जिसे भारत ने अपने हितों और सुरक्षा के अनुसार नियंत्रित किया।


भारत की प्रोएक्टिव नीति की मिसाल

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने संसद में कहा:

“ऑपरेशन सिंदूर भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यह कदम किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान और सुरक्षा के तहत उठाया गया।”

उन्होंने साफ किया कि भारत का उद्देश्य आतंकवाद को खत्म करना है, ना कि संघर्ष को बढ़ावा देना।

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