“जब बस्तर को हैदराबाद से जोड़ने की रची गई थी साजिश: निजाम की नजर थी जंगलों और खनिज पर, मगर सपना अधूरा रह गया”

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आजादी के बाद 17 सितम्बर, 1948 को हैदराबाद रियासत का भारत में विलय हुआ था। इस विलय के लिए ‘ऑपरेशन पोलो‘ या ‘पुलिस एक्शन‘ का सहारा लिया गया था। इस वजह से उस घटना को याद किया जाता है। बहरहाल, यह बात कम ही ज्ञात है कि हैदराबाद के निजाम ने सितम्बर 1947 में बस्तर रियासत को हैदराबाद रियासत के साथ जोड़कर एक स्वतंत्र देश बनाने की योजना बनाई थी।

निजाम ने भेजा था बस्तर राजा के पास प्रतिनिधि हैदराबाद के निजाम ने भारत के आजाद होने के बाद ही अपना एक प्रतिनिधि बस्तर के राजा प्रवीरचंद्र भंजदेव के पास जगदलपुर भेजा। उस प्रतिनिधि ने भंजदेव से आग्रह किया कि वे हैदराबाद रियासत के साथ एक संधि कर लें जिससे हैदराबाद और बस्तर को मिलाकर एक स्वतंत्र देश घोषित किया जा सके।

बस्तर की नैसर्गिक संपदा, खासकर खनिज भंडार और वनों के कारण यह देश समृद्ध रहेगा और हैदराबाद की शक्ति से सशक्त रहेगा। भंजदेव ने इस प्रतिनिधि की बात ध्यान पूर्वक सुनी किंतु कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। यह भी स्मरणीय है कि हैदराबाद के निजाम ने इसके पहले बस्तर की खदानों को लीज पर लेने की कोशिश की थी किंतु खदान देने के लिए राजा प्रवीरचंद्र भंजदेव सहमत नहीं हुए थे।

निजाम ने भेजा था बस्तर राजा के पास प्रतिनिधि हैदराबाद के निजाम ने भारत के आजाद होने के बाद ही अपना एक प्रतिनिधि बस्तर के राजा प्रवीरचंद्र भंजदेव के पास जगदलपुर भेजा। उस प्रतिनिधि ने भंजदेव से आग्रह किया कि वे हैदराबाद रियासत के साथ एक संधि कर लें जिससे हैदराबाद और बस्तर को मिलाकर एक स्वतंत्र देश घोषित किया जा सके।

बस्तर की नैसर्गिक संपदा, खासकर खनिज भंडार और वनों के कारण यह देश समृद्ध रहेगा और हैदराबाद की शक्ति से सशक्त रहेगा। भंजदेव ने इस प्रतिनिधि की बात ध्यान पूर्वक सुनी किंतु कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। यह भी स्मरणीय है कि हैदराबाद के निजाम ने इसके पहले बस्तर की खदानों को लीज पर लेने की कोशिश की थी किंतु खदान देने के लिए राजा प्रवीरचंद्र भंजदेव सहमत नहीं हुए थे।

सिंहदेव ने सरदार पटेल को दी जानकारी रामानुज प्रताप सिंहदेव ने भारत के गृहमंत्री वल्लभ भाई पटेल को निजाम की चाल की जानकारी दी। वल्लभ भाई पटेल ने कहा कि भंजदेव से उनकी चर्चा करा दें। इसके बाद घटना चक्र तेजी से घूमा। भंजदेव रायपुर वापस आये तो रामानुज प्रताप सिंहदेव ने उन्हें वल्लभ भाई पटेल के संदेश की जानकारी दी और फिर शीघ्र ही बस्तर के राजा भंजदेव को लेकर दिल्ली गये। दिल्ली में उनकी मुलाकात वल्लभ भाई पटेल से हुई। उन्होंने भंजदेव से कहा कि वे निजाम के बहकावे में न ही आवें। और आश्वस्त किया कि भंजदेव को सुरक्षा दी जायेगी।

हैदराबाद के निजाम की ऐसी हर चाल से वे (पटेल) निपट लेंगे। वल्लभ भाई पटेल से भेंट के बाद पूरी तरह आश्वस्त होकर भंजदेव रायपुर लौटकर आए। छत्तीसगढ़ की अन्य देसी रियासतों का अनुगमन करते हुए उन्होंने नवम्बर 1947 में बस्तर रियासत का विलय भारत में करने के संधि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।

तद्नुसार एक जनवरी 1948 को बस्तर रियासत का भारत संघ में औपचारिक रूप से विलय हो गया। कांकेर रियासत का विलय भी भारत संघ में हुआ। और बस्तर रियासत और कांकेर रियासत को मिलाकर बस्तर जिला बनाया गया जो तत्कालीन मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा जिला था।

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