दिल्ली सरकार ने एडवोकेट वेलफेयर योजना को लेकर एक बार फिर अपना रुख साफ कर दिया है। शुक्रवार को हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा कि वो इस योजना पर पिछली नीति के तहत की काम करेंगे। इसका मतलब है कि एडवोकेट वेलफेयर योजना का लाभ सिर्फ उन वकीलों को मिलेगी, जिनके पास दिल्ली की वोटर आईडी है।
इसके अलावा एनसीआर में रहने वाले वकीलों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा, फिर चाहे वो दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड क्यों न हों। सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का कहना है कि वो इस मामले पर दिल्ली की पिछली आम आदमी पार्टी की सरकार की नीति पर ही काम करेगी।
इन लोगों को मिलेगा लाभ
हाल ही में इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया कि जो वकील एनसीआर में रहते हैं, उन्हें एडवोकेट वेलफेयर योजना से जुड़ा कोई भी लाभ नहीं दिया जाएगा। फिर चाहे वे वकील दिल्ली की अदालतों में प्रैक्टिस करते हों या नहीं।
बता दें कि दिल्ली सरकार की इस योजना का दायरा बढ़ाना के लिए हाईकोर्ट में अपील की गई थी। यह अपील एनसीआर में रहने वाले वकीलों ने की थी, जो दिल्ली में काम करते हैं। अब इस मामले पर 24 अगस्त को अंतिम सुनवाई होगी।
वकीलों के आंदोलन की चेतावनी
दिल्ली सरकार के इस फैसले से वकील समुदाय के लोगों में आक्रोष है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी की सभी जिला अदालतों की कोआर्डिनेशन कमेटी के प्रवक्ता नीरज ने आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि वे पहले अपनी बात को दिल्ली सरकार के सामने रखेंगे, लेकिन अगर उसके बाद भी सरकार ने रुख नहीं बदला तो अपने हक के लिए आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि इस फैसले से एनसीआर को विकसित करने का मकसद ही विफल हो जाता है।
गाजियाबाद के रहने वाले एक एडवोकेट ने कहा कि एक वकील जो दिल्ली में रजिस्टर्ड है और वहां पर प्रैक्टिस भी करता है, उसे सिर्फ इसलिए सुविधाओं नहीं दी जा रही हैं क्योंकि वह दिल्ली या हरियाणा में वोट देता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का यह फैसला गलत है।
40 हजार वकीलों को मिल रहा लाभ
एक वकील ने कहा कि दिल्ली में करीब 40 हजार वकीलों को सरकार की एडवोकेट वेलफेयर योजना का लाभ मिल रहा है। अगर दिल्ली सरकार वोटर आईडी की शर्त हटाकर राजधानी में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को इस दायरे में लाने से सरकार पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। जो वकील दिल्ली बार काउंसिल के रजिस्टर्ड हैं, उन्हें इस योजना का लाभ मिलना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुमान लगाया है कि अगर एनसीआर के वकीलों को भी इस योजना का लाभ दिया जाए, तो कुल लाभार्थियों की संख्या 50-55 हजार होगी। ऐसे में सभी वकीलों को योजना का लाभ मिलना चाहिए।