झारखंड: देवघर में भीषण सड़क हादसा, बस-ट्रक टक्कर में 5 कांवड़ियों की मौत

Spread the love

जल जीवन मिशन योजना में पीएचई की एक और करतूत सामने आई है। दुर्ग जिले के रुदा ग्राम पंचायत में पीएचई के अफसरों ने करीब एक करोड़ की लागत से पानी टंकी बनाई है। टंकी के कॉलम, बीम और स्लैब डालने में ही पूरे पैसे खर्च हो गए। वर्टिकल वॉल यानी पानी स्टोर करने वाली टंकी बनाने के लिए पैसे ही नहीं बचे। ठेकेदार ने उसी हालत में स्ट्रक्चर बनाकर अफसरों को सौंप दिया।

गांव के लोगों ने जब इस संबंध में अफसरों से पूछा तो उनका कहना है कि अब अलग से टंकी लगाएंगे।दैनिक भास्कर की टीम ने जब इस संबंध में पीएचई के कुछ पुराने अफसरों से बात की तो पता चला कि छत्तीसगढ़ में आज तक ऐसी टंकी कभी नहीं बनी। आरसीसी की टंकी में पूरा स्ट्रक्चर आरसीसी का ही होता है। सिंटेक्स या अन्य तरह की टंकी वाले ओवरहेड टैंक का पूरा स्ट्रक्चर स्टील का होता है। जब पूरा स्ट्रक्चर आरसीसी का है तो सिर्फ वर्टिकल वॉल को जिंक एल्युमिनियम से बनाने में लागत में बहुत अधिक अंतर नहीं आएगा। इसलिए अफसरों का लागत कम करने वाला तर्क गलत है।

आरसीसी टैंक की उम्र 50 से 70 साल होती है, जबकि जिंक एल्युमिनियम की 15 से 20 साल। जल जीवन मिशन के समूह नलजल प्रदाय योजना के तहत दुर्ग के 13 गांवों में पानी टंकी बनाने के लिए 2021 में अलग-अलग वर्क आर्डर जारी किए गए। इन गांवों में आमटी, मासाभाट, आलबरस, भोथली, झोला, खाड़ा, रुदा, निकुम, तिरगा, बिरेझर, चंगोरी, थनौद और अंजोरा शामिल हैं। अक्टूबर 2022 तक काम पूरा होना था।

अक्टूबर 2022 में काम पूरा होने का दावा

अधूरी टंकी के बारे में दुर्ग जनपद पंचायत के पूर्व सदस्य और वर्तमान सदस्य लीलावती देशमुख के पति रूपेश देशमुख और रुदा गांव के सरपंच नंद कुमार साहू ने बताया कि इस योजना में अफसरों ने बड़ी गड़बड़ी की है। 2021 के मई से अक्टूबर के बीच वर्क ऑर्डर जारी किए गए। अक्टूबर 2022 की सामान्य सभा में काम पूरा होने की जानकारी दी गई। यानी टंकी बनाए बिना ही पूर्णता का सर्टिफिकेट दे दिया गया। अब तक गांव में लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है।

अफसर बोले- टैंक की सप्लाई नहीं, इसलिए देरी

आजकल जिंक एल्युमिनियम के ओवरहैड टैंक की नई तकनीक आई है। रुदा में सिविल वर्क पूरा होने के बाद एल्युमिनियम टंकी लगाई जाएगी। सप्लाई में देरी की वजह से अब तक टंकी लगाने का काम पूरा नहीं हो पाया है।-संजीव बृजपुरिया, अधीक्षण अभियंता दुर्ग पीएचई

दुर्ग जिले में कम क्षमता वाली टंकियों को जिंक एल्युमिनियम तकनीक से बनाया जाना है। रुदा में भी इसीलिए आरसीसी स्ट्रक्चर के ऊपर एल्युमिनियम की टंकी लगाई जानी है। इससे लागत एक चौथाई कम हो जाती है।-उत्कर्ष पांडे, तत्कालीन ईई दुर्ग पीएचई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *