छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में एक बार फिर हाथियों की आमद से दहशत का माहौल बन गया है। चार जंगली हाथियों का एक दल मध्य प्रदेश के अनूपपुर से छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर गया है, जिसके बाद से ग्रामीणों की नींद हराम हो गई है।
कहां से आए और कहां पहुंचे?
करीब डेढ़ महीने बाद एमपी से छत्तीसगढ़ लौटे इस दल ने गुजर नाला पार कर मरवाही वन क्षेत्र में दस्तक दी। मालाडांड और दैगवा गांव के पलाश प्लांट होते हुए यह दल सीधे सिवनी गांव के पास जा पहुंचा। नतीजा – गांवों में अफरा-तफरी और डर का माहौल बन गया है।
वन विभाग अलर्ट मोड पर
वन विभाग की टीमें सक्रिय हैं। हाथियों को ट्रैक किया जा रहा है लेकिन लगातार हो रही बारिश से दिक्कतें बढ़ी हैं। हाथियों ने खेतों में घुसकर फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है। कुछ जिज्ञासु ग्रामीण हाथियों के पास जाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे वन विभाग ने सख्त हिदायत दी है – “हाथियों से दूर रहें, जान जोखिम में न डालें।”
गरियाबंद: दंतैल हाथियों का आतंक, 30 गांवों में हाई अलर्ट!
मरवाही की घटना के साथ ही गरियाबंद जिले में भी 26 जुलाई की रात को हाथियों का उत्पात देखने को मिला। फिंगेश्वर और पांडुका इलाकों में दो दंतैल हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया। खेत रौंदे गए, घरों के आसपास तोड़फोड़ हुई, और ग्रामीण पूरी रात जागते रहे।
ताज़ा हालात –
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फिंगेश्वर क्षेत्र में सरकड़ा जंगलों में एक हाथी घूम रहा है।
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पांडुका क्षेत्र के खदराही गांव में दूसरे हाथी ने फसलों और घरों को नुकसान पहुंचाया।
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झरझरा माता मंदिर के पास वॉटरफॉल क्षेत्र में भी हाथी देखे गए।
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वन विभाग ने 30 से अधिक गांवों में हाई अलर्ट घोषित किया है।
बारिश बनी मुसीबत:
बारिश के चलते हाथियों की मूवमेंट पर निगरानी रख पाना मुश्किल हो गया है। वन विभाग लगातार गश्त कर रहा है, लेकिन ट्रैकिंग उपकरण और ड्रोन जैसी तकनीकें भी बारिश में सीमित असर दिखा रही हैं।
वन विभाग की अपील:
“कृपया हाथियों से दूर रहें, खेतों में अकेले न जाएं, रात में बाहर निकलने से बचें, और वन विभाग की टीम को कोई भी गतिविधि तुरंत रिपोर्ट करें।”