दुर्ग (छत्तीसगढ़)। केरल की दो कैथोलिक मिशनरी सिस्टर्स की गिरफ्तारी को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान तेज़ हो गया है। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर हुई इस कार्रवाई के बाद अब मामला राज्यसभा और लोकसभा तक पहुंच चुका है। विपक्षी सांसदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ननों को “झूठे धर्मांतरण और मानव तस्करी” के आरोप में फंसाया गया है।
सांसदों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा जेल
मंगलवार को सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दुर्ग जेल पहुंचा और नन वंदना फ्रांसिस और प्रीति मेरी से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के सांसद सप्तगिरि उल्का भी शामिल थे।
सप्तगिरि उल्का ने कहा – “हम सत्य जानने के लिए आए थे। ननों को झूठे आरोपों में फंसाया गया है। बजरंग दल के इशारे पर बेवजह हंगामा किया गया। पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध रही। आज संसद में इस मुद्दे को उठाया जाएगा।”
वृंदा करात ने सीएम को घेरा
माकपा नेता वृंदा करात ने इस पूरे मामले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा—
“मुख्यमंत्री कानून-व्यवस्था संभालने में विफल रहे हैं। जो लोग स्टेशन में हमला कर रहे थे, उन्हें जेल में होना चाहिए था। इसके उलट एक फार्मासिस्ट और नर्स को जेल में डाल दिया गया। यह आदिवासी महिलाओं के सम्मान पर हमला है।”
भूपेश बघेल बोले – बीजेपी की ‘अल्पसंख्यक टारगेटिंग’
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी केंद्र की भाजपा सरकार और राज्य प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा—
“यह बीजेपी की सुनियोजित रणनीति है। अल्पसंख्यकों को टारगेट कर एक ध्रुवीकृत वोटबैंक तैयार किया जा रहा है। सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मिलने आया लेकिन उन्हें जेल में प्रवेश से रोका गया।”
क्या है पूरा मामला?
21 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन में दो कैथोलिक ननों को संदेह के आधार पर रोक लिया गया था। आरोप था कि वे दो आदिवासी लड़कियों को केरल ले जा रही थीं। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने स्टेशन पर हंगामा किया और मानव तस्करी व धर्मांतरण के आरोप लगाए। पुलिस ने दोनों सिस्टर्स को हिरासत में लेकर केस दर्ज कर लिया।
हालांकि, बाद में सामने आया कि दोनों युवतियाँ बालिग थीं और अपनी मर्जी से यात्रा कर रही थीं। दोनों मिशनरी महिलाएं एक नर्स और फार्मासिस्ट हैं, और उनका दावा है कि वे किसी धार्मिक गतिविधि में शामिल नहीं थीं।
जेल पहुंची प्रतिनिधि मंडल की तस्वीरें वायरल
सोशल मीडिया पर सांसदों और नेताओं की जेल परिसर से आई तस्वीरें वायरल हो रही हैं। कांग्रेस नेताओं ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताया है, वहीं बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
क्या बोले स्थानीय अधिकारी?
दुर्ग पुलिस अधीक्षक ने कहा—
“जांच के आधार पर कार्रवाई की गई है। किसी भी पक्ष के दबाव में आकर निर्णय नहीं लिया गया है। तथ्यों की पुष्टि के बाद ही आगे की कानूनी प्रक्रिया तय की जाएगी।”