दुर्ग | 30 जुलाई 2025
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार सुबह दुर्ग शहर में स्थित मोक्षित कॉर्पोरेशन और इससे जुड़े परिसरों पर एक साथ छापेमारी की है। यह कार्रवाई 660 करोड़ रुपए के बहुचर्चित छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। ईडी की टीमें सुबह करीब 6 बजे कंपनी के आवासीय और व्यावसायिक परिसरों पर पहुंचीं और दस्तावेजों की जांच शुरू की।
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े CGMSC घोटाले में बड़ी मात्रा में फर्जी दवा खरीद, भुगतान और बिलों में गड़बड़ी का आरोप है। प्राथमिक जांच में पता चला कि कुछ निजी कंपनियों को फर्जी टेंडर और दस्तावेजों के जरिए अनुचित लाभ पहुंचाया गया। मोक्षित कॉर्पोरेशन का नाम इन्हीं संदिग्ध कंपनियों में शामिल है।
किस-किस जगह पर छापे?
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कंपनी का प्रमुख कार्यालय – नेहरू नगर, दुर्ग
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डायरेक्टर का निजी निवास – सिविक सेंटर के पास
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एक अन्य गुप्त गोदाम – स्मृति नगर के बाहर स्थित
ईडी अधिकारियों ने करीब आधा दर्जन दस्तावेज, लैपटॉप और कंप्यूटर सिस्टम को सीज किया है। मौके पर किसी को परिसर के अंदर या बाहर जाने नहीं दिया गया।
किन दस्तावेजों की जांच?
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने उन सभी दस्तावेजों को खंगाला जो टेंडर प्रक्रिया, दवा सप्लाई और भुगतान से संबंधित हैं। यह भी जांच की जा रही है कि क्या कंपनियों ने फर्जी कंपनियों के नाम पर दवाइयों की आपूर्ति दिखाकर करोड़ों का भुगतान लिया।
मोक्षित कॉर्पोरेशन की प्रतिक्रिया
मीडिया द्वारा संपर्क किए जाने पर कंपनी के प्रतिनिधियों ने किसी भी प्रकार की अनियमितता से इनकार किया है। उनका कहना है कि वे जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और सभी दस्तावेज वैध हैं।
आगे की कार्रवाई
ED फिलहाल जब्त दस्तावेजों और डिजिटल डेटा की फॉरेंसिक जांच करेगी। अगर मोक्षित कॉर्पोरेशन की भूमिका संदिग्ध पाई जाती है, तो आने वाले दिनों में गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्की जैसी कड़ी कार्रवाई संभव है।
पृष्ठभूमि:
CGMSC घोटाला 2023-24 के दौरान सामने आया था, जब राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद स्वास्थ्य विभाग की फाइलों की जांच शुरू की गई। इस घोटाले में पूर्व सरकार के कुछ अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के नाम भी सामने आए थे।