बीजापुर।
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के पीछे जिस सड़क निर्माण घोटाले को जिम्मेदार ठहराया गया था, उस मामले में अब बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई हुई है। बीजापुर पुलिस ने गंगालूर से मिरतुल तक बन रही सड़क निर्माण परियोजना में गड़बड़ी के मामले में सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के 5 बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार किया है।
इनमें दो रिटायर्ड एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (EE), एक SDO और दो सब-इंजीनियर शामिल हैं। पुलिस ने सभी को 2 दिन की रिमांड पर लिया है और इनसे गहन पूछताछ की जा रही है।
ASP चंद्रकांत गवर्ना ने इन गिरफ्तारियों की पुष्टि करते हुए बताया कि यह कार्रवाई लंबे समय से चल रही जांच और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर की गई है। उल्लेखनीय है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने इसी सड़क परियोजना में भारी भ्रष्टाचार और निर्माण में घोर लापरवाही को उजागर किया था, जिसके बाद 1 जनवरी 2025 को वे रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे।
कैसे हुई हत्या का खुलासा?
1 जनवरी को मुकेश चंद्राकर अचानक गायब हो गए थे। उनके मोबाइल फोन बंद थे और परिजनों को उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था। उनके भाई युकेश चंद्राकर ने बीजापुर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इसके बाद बीजापुर एसपी की निगरानी में एएसपी युगलैंडन यार्क और कोतवाली टीआई दुर्गेश शर्मा की विशेष टीम गठित कर जांच शुरू की गई। जांच के दौरान 3 जनवरी को पत्रकार का शव एक ठेकेदार के सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ।
पुलिस जांच में सामने आया कि पत्रकार की हत्या पूर्वनियोजित थी और इसका कारण उनका खुलासा किया गया सड़क घोटाला था। इस केस में ठेकेदार समेत तीन लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
सड़क परियोजना में गड़बड़ी के सबूत
गंगालूर से मिरतुल तक की सड़क निर्माण योजना पर लाखों रुपए का बजट स्वीकृत हुआ था। लेकिन सड़क की गुणवत्ता और सामग्री में भारी गड़बड़ी के आरोप थे। पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने इस मुद्दे पर रिपोर्टिंग की थी और कई वीडियो फुटेज व दस्तावेज जुटाए थे, जो निर्माण में भ्रष्टाचार की पुष्टि करते थे।
इन खुलासों से संबंधित रिपोर्ट उनके चैनल और सोशल मीडिया पर प्रकाशित हुई थी, जिसके बाद ठेकेदारों और कुछ अधिकारियों ने उन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था।
अब क्या?
बीजापुर पुलिस का कहना है कि इस मामले में जांच अब निर्णायक मोड़ पर है। गिरफ्तार अधिकारी यह नहीं बता पा रहे हैं कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता की निगरानी क्यों नहीं की गई और क्यों घोटाले पर आंख मूंदी गई।
रिमांड के दौरान यदि इन अफसरों की संलिप्तता और ठेकेदार से सांठगांठ के साक्ष्य और मिले, तो और गिरफ्तारी हो सकती है। वहीं, पत्रकार समुदाय लगातार इस मामले में न्याय की मांग कर रहा है और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग कर रहा है।
पत्रकार सुरक्षा पर फिर उठा सवाल
मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। कई पत्रकार संगठनों ने इस हत्याकांड को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताते हुए सरकार से कानून बनाने और पत्रकारों को विशेष सुरक्षा देने की मांग की थी।