राज्य के 4 लाख के अधिक सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए छुट्टी के नियमों में बदलाव किया गया है। इसके अनुसार अब किसी कर्मी के ड्यूटी से लगातार तीन साल तक गायब रहने को स्वत: इस्तीफा माना जाएगा। ऐसे कर्मी को राज्यपाल की अनुमति से ही ड्यूटी करने की इजाजत मिलेगी।
इस मामले में पहले पांच साल की समय सीमा तय थी। इसमें दो साल की कटौती कर दी गई है। राज्यपाल का अधिकार मंत्रिपरिषद को सौंपा गया है। मंत्रालय से अवकाश के संबंध में मंगलवार को नए आदेश जारी कर दिए गए।
इसके अनुसार बगैर अनुमति एक महीने से ज्यादा अनुपस्थित रहने पर विभागीय कार्रवाई के साथ दंड भी मिलेगा। अब किसी कर्मचारी को मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर अर्द्धवेतन अवकाश के आधे से ज्यादा लघुकृत अवकाश मंजूर नहीं किया जाएगा। पूरे सेवाकाल में 180 दिन अर्द्धवेतन अवकाश बिना चिकित्सा प्रमाणपत्र के लघुकृत अवकाश में परिवर्तित नहीं किया जाएगा।
संतान पालन के लिए सेवा काल में 730 दिनों की छुट्टी महिला कर्मचारी को संतान पालन अवकाश 18 साल से कम उम्र के दो बड़ी संतानों के पालन हेतु पूरा सेवाकाल में अधिकतम 730 दिनों की छुट्टी मिलेगी। यह अवकाश एक कैलेंडर वर्ष में तीन बार से ज्यादा नहीं मिलेगा। अवकाश की न्यूनतम सीमा 5 दिन होगी। अधिकतम सीमा तय नहीं है। छुट्टी के पहले या बाद में पड़ने वाले राजपत्रित व साप्ताहिक अवकाश स्वयमेव इस छुट्टी में शामिल रहेंगे।
अर्जित अवकाश संचय की सीमा 300 दिन इसी तरह अर्जित अवकाश संचय की सीमा 300 दिन की होगी। एक समय में अर्जित अवकाश अधिकतम 180 दिन के मंजूर होंगे। अपरिहार्य स्थिति में इससे ज्यादा अवकाश के वित्त वित्त विभाग के पास केस भेजना होगा। अर्ध वेतन अवकाश की पात्रता वर्ष में 20 दिनों की होगी। इसे अर्जित अवकाश के समान ही साल में दो बार 1 जनवरी व 1 जुलाई को दस-दस दिन अग्रिम अर्ध-वेतन अवकाश खाते में जमा किया जाएगा।
न्यायालय की व्यवस्था पर लागू नहीं जीएडी सचिव मुकेश कुमार बंसल ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश न्यायालयों की व्यवस्था पर लागू नहीं होंगे। विभागों से कहा गया है कि वे इन नियमों का पालन करें ताकि अवकाश प्रकरणों में विसंगति न हो। साथ ही समय-समय पर एेसे मामलों की समीक्षा करें ताकि मामलों का निपटारा भी हो सके। लंबे समय तक छुट्टी के मामले लटकाने से कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।
इन्हें भी जानना जरूरी
- अदेय अवकाश: सेवाकाल में अधिकतम 360 दिनों का। एक समय में अधिकतम 90 दिन और 180 दिनों तक अदेय अवकाश बिना मेडिकल सर्टिफिकेट के स्वीकृत हो सकेगा।
- प्रसूति अवकाश: महिला कर्मचारी को दो संतानें हैं, तो 180 दिन का प्रसूति अवकाश मिलेगा।
- कर्मचारी की मृत्यु या बीमारी की वजह से सेवा के लिए अनुपयुक्त किया हो तो अवकाश वेतन वसूली नहीं की जाएगी।
मंत्रिपरिषद राज्यपाल की ओर से ले सकेगा निर्णय निरंतर तीन साल से अधिक अनुपस्थिति पर छुट्टी की मंजूरी का अधिकार राज्यपाल को होगा। संविधान के अनुच्छेद 166 के अंतर्गत राज्यपाल के ये अधिकार मिले हैं कि वे शासन चलाने के लिए नियम बना सकेंगे। करीब 32 प्रकार के विषयों पर किसी भी प्रकार का निर्णय मंत्रिपरिषद राज्यपाल की ओर से ले सकेगा।