रायपुर। अंबेडकर अस्पताल स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में मरीजों को ईको और ईसीजी जांच के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एकमात्र ईको मशीन से रोजाना औसतन 80 से 100 मरीजों की जांच की कोशिश होती है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते आधे से ज्यादा मरीज बिना जांच कराए वापस लौटने को मजबूर हो रहे हैं।
सोमवार को जब भास्कर की टीम ACI पहुंची, तो ईको जांच के लिए सैकड़ों मरीजों की भीड़ उमड़ी हुई थी। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मरीजों को बैठने या चलने तक की जगह नहीं मिल रही थी। एक मरीज ने बताया कि पर्ची कटवाए एक घंटे से अधिक हो गया, लेकिन अब तक जांच नहीं हो पाई।
इसी बीच मशीन को किसी अन्य वार्ड में ले जाया जाने लगा, जिससे वहां मौजूद मरीज भड़क उठे। एक डॉक्टर ने आकर मरीजों को समझाया कि एक ही मशीन है, थोड़ी देर में वापस आ जाएगी। लेकिन दोपहर 12:30 बजे के बाद स्टाफ ने पर्ची लेना ही बंद कर दिया और कहा कि मशीन अभी तक वापस नहीं आई है, और हमें 2 बजे तक घर जाना होता है, इसलिए बाकी मरीज अगले दिन आएं।
सिर्फ जांच नहीं, सर्जरी भी अटकी
जगदलपुर से आए बितला ने बताया कि उनके पिताजी पेड़ से गिर गए थे और रीढ़ की हड्डी की सर्जरी होनी है। डॉक्टरों ने पहले ईको जांच कराने भेजा, लेकिन शनिवार को भी नहीं हुआ और सोमवार को भी एक घंटे इंतजार के बाद कोई राहत नहीं मिली।
आशीष, जो अपनी मां को लेकर आया था, उसने बताया कि मां की सांसें फूल रही हैं, डॉक्टर ने तुरंत ईको कराने कहा था, लेकिन स्टाफ ने जांच करने से इनकार करते हुए अगले दिन आने कहा। कई बार निवेदन करने के बाद भी जांच नहीं की गई।
सरकारी अस्पताल में मुफ्त जांच, फिर भी नहीं मिल रही सुविधा
ईको कार्डियोग्राफी मशीन दिल की बीमारियों की जांच के लिए जरूरी है। इससे दिल के आकार, पंपिंग क्षमता, वाल्व और ऊत्तकों की स्थिति का आकलन किया जाता है। अंबेडकर अस्पताल में यह जांच मुफ्त में होती है, जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए 1500 से 3500 रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं।
प्रबंधन का जवाब: मशीन की स्वीकृति मिल चुकी है
डॉ. संतोष सोनकर, अधीक्षक, मेकाहारा ने बताया:
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“किसी भी मरीज को जानबूझकर वापस नहीं भेजा जाता। मशीन की कमी के कारण थोड़ी देर जरूर होती है।”
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“दूसरी मशीन के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है।”
प्रदेश का इकलौता हार्ट हॉस्पिटल, फिर भी सर्जरी के लिए लंबा इंतजार
ACI प्रदेश का एकमात्र सरकारी कार्डियक अस्पताल है, लेकिन यहां भी बायपास और ओपन हार्ट सर्जरी के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। कुछ माह पहले सर्जरी के इंतजार में दो मरीजों की मौत हो चुकी है। आज भी कई मरीज ऑपरेशन की तारीख का इंतजार करते हुए भर्ती हैं, और प्रबंधन सिर्फ दिलासा देने में जुटा हुआ है।
निष्कर्ष: सरकार की लाख स्वास्थ्य योजनाओं और संसाधनों के दावों के बावजूद राजधानी रायपुर के प्रमुख कार्डियक हॉस्पिटल में एक मशीन पर पूरा भार डाल देना व्यवस्था की गंभीर विफलता को दर्शाता है। अगर जल्द ही दूसरा सिस्टम नहीं जोड़ा गया, तो और भी मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है