सांसदों ने आदर्श ग्राम का चयन तो किया लेकिन उनकी देखभाल करना भूल गए। गांवों में न स्मार्ट क्लास रूम बने, न घरों तक पीने का पानी पहुंचा, कवर्ड नाली और सभी गलियों में पक्की सड़कें भी नहीं बनी। भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के सांसद फंड का इंतजार करते रहे और पांच साल बीत गए।
गांवों को आदर्श बनाने के लिए जो प्लान बना, उसमें बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां भी शुरू की जानी थीं, ताकि गांव का संपूर्ण विकास हो सके। लेकिन सांसदों ने गोद लेने के बाद गांवों की तरफ मुड़कर देखा ही नहीं।
तत्कालीन सांसदों का कहना है कि जब तक अलग से फंड नहीं जारी होगा, गांवों को आदर्श विकसित करना संभव नहीं है। भाजपा सांसदों ने पांच साल राज्य सरकार से सहयोग नहीं मिलने और फंड की कमी का हवाला दिया, जबकि कांग्रेस के तत्कालीन सांसदों ने फंड की कमी को कारण बताया।
भास्कर टीम ने 5 साल में गोद लिए गांवों में से कुछ गांवों को रैंडमली सलेक्ट कर जमीनी हकीकत की पड़ताल की। इसमें पता लगा कि कई सांसदों ने ऐसे गांवों का चयन किया जिन्हें या तो पहले ही किसी ने गोद ले रखा था, या जिनकी स्थिति अन्य गांवों से कुछ बेहतर थी।
विलेज डेवलपमेंट प्लान भी खानापूर्ति: गोद लिए गांवों का बाकायदा विलेज डेवलपमेंट प्लान (वीडीपी) बना। गांव की जरूरतों को जानने के लिए बेस लाइन सर्वे हुआ। हालांकि, गाइडलाइन के अनुसार गांवों को आदर्श बनाने की न तो कार्ययोजना बनी और न विकास हुआ। फंड की व्यवस्था न होने से सांसदों ने भी गांवों की तरफ ध्यान देना बंद कर दिया।
चुन्नीलाल साहू, ग्राम- पोटियाडीह
सड़क पर पक्की नाली, गंदा पानी घरों में
धमतरी का पोटियाडीह: यहां आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र और पक्की सड़कें पहले से हैं। कुछ लोगों ने बताया कि इसे महासमुंद के तत्कालीन सांसद चुन्नीलाल साहू ने 2019 में गोद लिया था। गोद लेने के बाद वे कभी गांव आए ही नहीं। गांववालों ने बताया कि कैसे सड़क के ऊपर पक्की नाली बना दी गई। विमला बाई का कहना है कि नाली का पानी उनके घरों में आ जाता है। गांव में 3 टंकी हैं। पर 50 घरों में आज भी पानी नहीं पहुंच रहा है।
क्या हुआ: वीडीपी में 13 काम में 12 काम पूरे करने का दावा किया गया है। इसमें से कुछ काम पूरे हुए हैं लेकिन अधिकांश अधूरे हैं।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। पांच साल में विकास के लिए पैसा ही नहीं मिला। अधूरे कामों को पूरा कराने के लिए हम पहल करेंगे। – चुन्नीलाल साहू, तत्कालीन सांसद, महासमुंद
सुनील सोनी, ग्राम- चंपारण
जमीन नहीं मिली तो बस स्टैंड नहीं बना
अभनपुर ब्लॉक का चंपारण: वहां कुछ बुजुर्गों ने बताया सांसद सुनील सोनी ने इसे गोद लिया। सांसद से ज्यादा गांव के सरपंच से नाराजगी है। उनका कहना है कि सांसद ने बस स्टैंड, हॉस्पिटल, शौचालय, तालाब सौंदर्यीकरण, सड़क जैसे कामों की पहल की, पर गांव ने जमीन ही नहीं दी। पुरानी बाजार चौक की सड़क 10 साल से जर्जर हैं। टंकी बनाने के बाद पानी की तलाश शुरू की गई। 2024 में दो किमी दूर नाला पार में बोर किया गया। पाइपलाइन अभी नहीं पहुंची है।
क्या हुआ: वीडीपी में गांव के लिए 38 कामों की सूची बनी। इसमें से 10 शुरू नहीं हुए या अधूरे हैं। इसमें लिंक रोड, बस स्टैंड, स्कूल बिल्डिंग जैसे काम हैं।
गांव के विकास के लिए प्लान बना था लेकिन स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने सहयोग नहीं किया। प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, उसने भी अपेक्षित सहयोग नहीं किया। -सुनील सोनी, तत्कालीन सांसद, रायपुर
रेणुका सिंह, ग्राम- झुमरपारा
टूटी सड़कें, प्रदूषण से ग्रामीण नाराज
सरगुजा का झूमरपारा: इसे तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने गोद लिया था। सड़क, पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर गांव वालों में नाराजगी है। मंदिर चौक से रेलवे साइडिंग तक 3 किमी लंबी सड़क सालों से जर्जर है। कोयला डस्ट प्रदूषण बड़ा मुद्दा है। कोयला परिवहन से सड़क क्षतिग्रस्त है। नाराज ग्रामीणों ने भूख हड़ताल की चेतावनी दी है। गांव में जल जीवन मिशन का काम अधूरा पड़ा है। लोगों के घरों में आज तक नल से जल नहीं पहुंच रहा है।
क्या हुआ: वीडीपी में गांव के लिए 19 काम तय किए गए। चुनिंदा लोगों के घरों के पास सड़क, हैंड पंप लगे। हकीकत- सड़क, पानी जैसी सुविधाओं के लिए कुछ नहीं किया।
राज्य सरकार प्रस्ताव ही नहीं भेजती थी। राज्य सरकार से सपोर्ट नहीं मिला। कल्पना के अनुरूप आदर्श गांव का विकास नहीं हुआ। – रेणुका सिंह, तत्कालीन सांसद, सरगुजा।
अरुण साव, ग्राम- वेद परसदा
नाली नहीं बनी, अक्सर विवाद भी इसी कारण
वेद परसदा तत्कालीन सांसद अरुण साव का गोद ग्राम है। गांव में बहता हुआ गंदा पानी दिखा। ग्रामीणों का कहना है कि सड़कें बनी पर नाली नहीं। गंदा पानी सड़क पर बहता है। इससे लोगों में विवाद होता है। सालों से स्कूल और आरोग्य केंद्र चल रहे हैं। आंगनबाड़ी बेहतर है। सांसद एक-दो बार ही गांव आए हैं। घरों में 4 साल पहले नल का कनेक्शन हुआ। आदिवासी मुक्तिधाम के पास टंकी बनी, लेकिन कनेक्शन आज तक नहीं हुआ। क्या हुआ: गांव में वीडीपी में 51 काम चिह्नित किए गए। 35 काम पूरे करने का दावा किया गया है। इसमें अधिकांश बीज वितरण जैसे काम हैं। सीसी रोड, नए आंगनबाड़ी भवन के निर्माण जैसे काम अधूरे पड़े हैं।
1 साल में गांवों को आदर्श बनाना आसान नहीं है। जरूरी फंड नहीं मिला। तत्कालीन राज्य सरकार से सहयोग भी नहीं मिला।