ननों की गिरफ्तारी पर दुर्ग कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार, कहा- अब बने हैं विशेष न्यायालय

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दुर्ग। मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोपों में गिरफ्तार दो कैथोलिक ननों — प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस, तथा एक अन्य आरोपी सुखमन मंडावी की जमानत याचिका पर दुर्ग कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नए आपराधिक कानूनों के तहत ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए अब विशेष न्यायालय (Special Courts) का गठन किया गया है, इसलिए सामान्य न्यायालय इस पर विचार नहीं कर सकता।

कोर्ट ने लौटाया आवेदन, बिलासपुर में होगी सुनवाई

आरोपियों की ओर से अधिवक्ता राजकुमार तिवारी ने जमानत याचिका पर सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि पूर्व में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में याचिका खारिज हो चुकी है। इस पर कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट करते हुए आवेदन को खारिज करने की बजाय वापस लौटा दिया और निर्देश दिया कि अब इस मामले की सुनवाई बिलासपुर स्थित विशेष न्यायालय में होगी।

सुबह से कोर्ट परिसर में रही गहमागहमी

इस संवेदनशील मामले की सुनवाई को लेकर दुर्ग कोर्ट परिसर में सुबह से ही भारी भीड़ रही। एक ओर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता एकजुट थे, तो दूसरी ओर क्रिश्चियन समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था। कोर्ट के आदेश के बाद सभी लोग शांतिपूर्वक लौट गए।

क्या है पूरा मामला?

इस केस में मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण का गंभीर आरोप है।
छत्तीसगढ़ बजरंग दल के रवि निगम की शिकायत के अनुसार, दो युवतियों को कथित रूप से ईसाई धर्म में परिवर्तित कराने के लिए आगरा ले जाया जा रहा था। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर सूचना मिलने के बाद विवाद की स्थिति बनी और पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीनों महिलाओं को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तार आरोपियों में —

  • प्रीति मैरी (निवासी: दुहनिया डिंगौरी)

  • वंदना फ्रांसिस (निवासी: सिविल लाइन, आगरा)

  • सुखमन मंडावी (निवासी: मरकाबाड़ा हजारीमेटा, नारायणपुर)

राजनीतिक रंग भी ले चुका है मामला

यह मामला अब सिर्फ कानूनी नहीं रहा, बल्कि इसका राजनीतिक असर भी दिख रहा है।

  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल, और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र व राज्य सरकार पर धार्मिक समुदाय विशेष को टारगेट करने का आरोप लगाया है।

  • संसद में भी इस मुद्दे पर कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन ने विरोध प्रदर्शन किया।

कानून का बदला ढांचा बना चुनौती

बता दें कि हाल ही में लागू हुए नए आपराधिक कानूनों — भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत कई अपराधों की सुनवाई के लिए अब अलग-अलग विशेष न्यायालय बनाए गए हैं। धर्मांतरण और मानव तस्करी जैसे गंभीर मामलों को अब इन्हीं विशेष अदालतों में सुना जाएगा।

निष्कर्ष:

ननों की गिरफ्तारी से जुड़ा यह मामला अब कानूनी से ज्यादा सामाजिक और राजनीतिक बहस का केंद्र बनता जा रहा है। एक ओर जहां इसे मानव तस्करी और धर्मांतरण की साजिश बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल इसे धार्मिक उत्पीड़न का मामला बता रहे हैं। अगली सुनवाई अब बिलासपुर की विशेष अदालत में होगी, जहां इस केस की दिशा और तेज़ी से तय होगी।

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