रायपुर। राजधानी रायपुर के 16 वार्डों के करीब डेढ़ लाख परिवारों को जनवरी 2025 से 24 घंटे पानी मिलने का वादा किया गया था, लेकिन जुलाई के अंत तक भी हालात जस के तस हैं। नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अफसर अभी तक पुरानी और नई पाइपलाइन के झमेले से बाहर ही नहीं निकल पाए हैं। नतीजा – बारिश के मौसम में भी लोग सुबह और शाम सिर्फ आधे-आधे घंटे ही पानी पा रहे हैं।
इस आधे घंटे में एक हज़ार लीटर की पानी टंकी भरना भी मुश्किल हो रहा है। लोगों ने पार्षदों से लेकर महापौर और निगम कमिश्नर तक सभी स्तरों पर शिकायत की, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकला है।
अमृत मिशन 2.0: शुरुआत से अब तक केवल वादे
अक्टूबर 2021 में केंद्र सरकार की अमृत मिशन 2.0 योजना के तहत रायपुर में 24 घंटे जल आपूर्ति योजना की शुरुआत की गई थी। शुरुआत में इसके लिए 150 करोड़ रुपये का बजट तय हुआ, जो बाद में बढ़ते-बढ़ते 168 करोड़ तक पहुंच गया। योजना के अंतर्गत 16 वार्डों के 27 हजार घरों तक नई पाइपलाइन के ज़रिए पानी पहुंचाना था, लेकिन आज तक एक भी वार्ड में 24 घंटे पानी नहीं मिल रहा।
कंपनी का काम 10×10 के कमरे में सिमटा
इस योजना को अमलीजामा पहनाने की ज़िम्मेदारी स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पास थी, जिसने यह ठेका टाटा कंपनी को सौंपा। टाटा कंपनी ने आगे इसे सब-लीज पर लोकल ठेकेदारों को दे दिया। खुदाई और पाइपलाइन बिछाने में आने वाली दिक्कतों से बचने के लिए अब कंपनी का सारा काम स्मार्ट सिटी के एक 10×10 के कमरे में सिमट कर रह गया है।
आज स्थिति ये है कि कंपनी के पास केवल एक प्रोजेक्ट मैनेजर है, और वार्डों से आने वाली शिकायतें सीधे लोकल ठेकेदारों को भेज दी जाती हैं। परियोजना को गंभीरता से कभी लिया ही नहीं गया।
इन 16 वार्डों को मिलना था 24 घंटे पानी
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रमण मंदिर वार्ड
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इंदिरा गांधी वार्ड
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तात्यापारा वार्ड
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हवलदार अब्दुल हमीद वार्ड
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शहीद चूड़ामणि वार्ड
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डॉ. विपिन बिहारी सूर वार्ड
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ब्राह्मणपारा वार्ड
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ब्रिगेडियर उस्मान वार्ड
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महामाया मंदिर वार्ड
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महंत लक्ष्मीनारायण वार्ड
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स्वामी विवेकानंद सदर बाजार वार्ड
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मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड
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सिविल लाइन वार्ड
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स्वामी आत्मानंद वार्ड
इन वार्डों में न तो पाइपलाइन पूरी बिछ पाई है, न ही नलों के मीटर लगे हैं। कई जगह पाइपलाइन खुले में छोड़ दी गई है।
देरी और अव्यवस्था के ज़िम्मेदार कौन?
निगम कमिश्नर:
“कंपनी के साथ कड़ाई से पेश आना चाहिए था। पाइपलाइन बिछाने की प्रगति का प्रतिदिन ऑडिट होना चाहिए था। लेकिन सबकुछ ढीले ढाले ढंग से हुआ।”
महापौर:
“कंपनी को सब-लीज देने की प्रक्रिया की जांच होनी थी, पार्षदों से ग्राउंड रिपोर्ट लेनी थी, लेकिन यह ज़िम्मेदारी पूरी नहीं की गई।”
पार्षद:
“हमने कई बार बताया कि पाइपलाइन अधूरी है, मीटर नहीं लगे हैं, लेकिन कंपनी वाले कोई सुनवाई नहीं करते। सब जिम्मेदारी टालते हैं।”
महापौर भी नाराज़, कहा – बिना बताए पानी का समय घटा दिया
मीनल चौबे, महापौर ने कहा,
“मुझे बताया गया था कि सुबह-शाम एक-एक घंटे पानी दिया जा रहा है। लेकिन अब आधा-आधा घंटा कर दिया गया, और इसकी जानकारी भी नहीं दी गई। अगर टेस्टिंग हो रही है तो इतनी देर क्यों लग रही है?”
निगम कमिश्नर का आश्वासन: आज से बदलेगी व्यवस्था
विश्वदीप, नगर निगम कमिश्नर ने कहा,
“कहीं भी ये निर्देश नहीं दिए गए हैं कि केवल आधा-आधा घंटा ही पानी दिया जाए। जिन वार्डों में नई पाइपलाइन पूरी हो चुकी है, वहां 24 घंटे पानी मिलना चाहिए। जांच करवा रहे हैं। लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
निष्कर्ष:
शहर की जनता जहां हर बूंद के लिए तरस रही है, वहीं अफसरशाही और ठेकेदारी की लापरवाही इस बुनियादी सेवा को मज़ाक बना रही है। अमृत मिशन जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को कैसे कुछ कमरे और कुछ फाइलों में कैद कर दिया गया, यह रायपुर के लिए एक कड़वा सबक है।