बचपन में हड्डियों की कमजोरी क्यों हो रही है? जानिए कारण

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एक समय था जब बच्चों को खेलते-कूदते देखना आम बात थी। पेड़ पर चढ़ना, घंटों दौड़ना और मिट्टी में खेलना उनकी दिनचर्या का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन आज के समय में बच्चों में कम उम्र में ही हड्डियों की कमजोरी की शिकायतें सामने आ रही हैं। छोटी उम्र में फ्रैक्चर होना, हड्डियों में दर्द रहना या बार-बार गिरने पर देर से रिकवरी होना अब चिंता का विषय बन गया है।

क्या इसका कारण सिर्फ खानपान है? या फिर लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार है? इसलिए हम जानेंगे कि बच्चों में हड्डियों की कमजोरी के क्या-क्या कारण हो सकते हैं और माता-पिता किस तरह से इस स्थिति को समय रहते संभाल सकते हैं।

कैल्शियम और विटामिन D की कमी

बच्चों की हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम और विटामिन D सबसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं। अगर डाइट में दूध, पनीर, दही, हरी सब्जियां और अंडे जैसे खाद्य पदार्थों की कमी हो तो बच्चों की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसके अलावा, धूप में कम समय बिताना भी विटामिन D की कमी का कारण बनता है।

जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का सेवन

पिज्जा, बर्गर, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजें बच्चों के खाने में शामिल हो गई हैं। ये चीजें शरीर को जरूरी पोषण नहीं देतीं बल्कि हड्डियों से जरूरी खनिजों को भी बाहर निकाल देती हैं। लंबे समय तक ऐसे खाने से हड्डियों का विकास प्रभावित होता है।

शारीरिक गतिविधियों की कमी

मोबाइल, टैब और टीवी बच्चों का सबसे बड़ा दोस्त बन चुके हैं। दौड़ना, खेलना या कोई फिजिकल एक्टिविटी करना अब पहले जैसा नहीं रहा। जबकि हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए नियमित व्यायाम और आउटडोर खेल बहुत जरूरी होते हैं।

अनियमित नींद और तनाव

बढ़ती पढ़ाई और स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों की नींद का समय कम होता जा रहा है। अच्छी नींद न मिलने से शरीर की रिकवरी स्लो होती है और हड्डियों का विकास भी रुक सकता है। बच्चों में बढ़ता तनाव भी एक छुपा हुआ कारण हो सकता है।

जेनेटिक कारण

कुछ बच्चों में हड्डियों की कमजोरी जन्म से हो सकती है, जैसे कि ऑस्टियोपीनिया या ओस्टियोपोरोसिस जैसी जेनेटिक कंडीशन्स। ऐसे मामलों में डॉक्टरी सलाह बेहद जरूरी होती है।

क्या करें माता-पिता?

  • बच्चों को पौष्टिक खाना दें जिसमें दूध, दालें, हरी सब्जियां, नट्स और फल शामिल हों।
  • हर दिन कम से कम 30 मिनट धूप में खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • उन्हें फिजिकल एक्टिविटीज जैसे साइक्लिंग, दौड़ना, खेलना आदि में शामिल करें।
  • स्क्रीन टाइम को सीमित करें और सोने का एक तय समय बनाएं।
  • समय-समय पर डॉक्टर से हड्डियों की जांच करवाएं।

बचपन में हड्डियों की कमजोरी को नजरअंदाज करना आगे चलकर बड़ी समस्याएं खड़ी कर सकता है। सही खानपान, सक्रिय जीवनशैली और समय पर इलाज से इस परेशानी से बचा जा सकता है। याद रखें, मजबूत हड्डियां ही बच्चों की सेहत की असली नींव होती हैं।

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