जयंती स्टेडियम मैदान में चल रही शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने संसार में माताओं का महत्व और शिवजी की अनंत कृपा की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि जगत में केवल स्त्री ही ऐसी होती हैं जो अपने लिए कुछ नहीं मांगती, सदा अपने परिवार की खुशी ही मांगती हैं।
स्त्री और पुरुष के मंदिर जाने में अंतर है। पुरुष मंदिर जाए तो वह स्वयं के व्यापार, व्यवसाय और उन्नति ही मांगता है। लेकिन स्त्री जब मंदिर जाती है तो वह केवल परिवार और उसके हर सदस्य के लिए वर मांगती है। सारे व्रत माताएं अपने पति, बच्चे और परिवार के लिए करती हैं, लेकिन स्वयं के लिए कभी नहीं। शिवजी ऐसे हैं कि स्त्री यदि स्वयं के लिए कुछ भी न मांगे, लेकिन प्रभु उसे सब कुछ देते हैं। भारत की भूमि पर जन्म लेने वाला सनातनी सर्वे भवन्तु सुखिन: की भावना लेकर कामना करता है। पंडित मिश्रा ने कहा कि यदि पूरा जगत सही तरह से चल रहा है तो वह केवल सतीत्व का भाव रखने वाली माताएं और गो-माता की वजह से।
जब तक संसार में ये दोनों उपस्थित हैं, तब तक यहां कभी अकाल नहीं पड़ सकता। इसलिए जीवन में हर स्त्री का सम्मान करें। शुक्रवार के कथा में तृिप्त सिंह प्रदेश अध्यक्ष क्षत्राणी राजपूत संगठन, कुंवर विभूति नारायण सिंह, शिक्षाविद् आईपी मिश्रा, स्वीमिंग संघ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल, पंजा-कुश्ती संघ के प्रदेश अध्यक्ष जी सुरेश बाबे, नेटबॉल खेल संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमन साहनी, समाजसेवी भूपेंद्र यादव, रतनलाल अग्रवाल, सुनिल गोयल, दिलीप अग्रवाल आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।
मन मैला है और मंदिर की सफाई कर रहे हो तो कोई अर्थ नहीं, दोनों को साफ रखो कथा में पं. मिश्रा ने कहा कि मन और मंदिर दोनों साफ हो तो भोलेनाथ की कृपा होगी। मन मैला है और हमने मंदिर साफ किया तो भी श्रेष्ठ नहीं है। मन यदि काम, तृष्णा, वासना में बंध गया तो वह परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता। पं. मिश्रा ने कहा कि आप मन को साफ करके मंदिर बना लो और इसका सबसे सुंदर तरीका भगवान का मंत्र जाप, नाम जाप है। मन को हमेशा अच्छे कामों में लगाओ। शिव कथा कहती है कि मन साफ कर लेना यानी शिवजी को अपने भीतर प्रवेश कर लेना। पं. मिश्रा ने कहा कि बोल बम सेवा समिति के अध्यक्ष दया सिंह के नेतृत्व में सावन के महीने में शिव कथा के आयोजन में रोज लाखों भक्तों पर शिवजी की कृपा बरस रही है। यह सभी के पुण्य का ही प्रताप है।