एम पी में कमलनाथ-दिग्विजय युग का हुआ अंत, दिग्गी राजा के ‘दुश्मन’ नंबर वन को प्रमोशन देकर राहुल गांधी का बड़ा संदेश…!

Spread the love

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का पसंद को दरकिनार करते हुए कांग्रेस ने जीतू पटवारी और उमंग सिंघार को बड़ी जिम्मेदारी दी है। इसके बाद से माना जा रहा है कि अब एमपी में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के युग का अंत हो गया है। सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर कई आऱोप लगाए थे।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने अपने संगठन में बड़ा बदलाव किया है। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को एमपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। डीतू पटवारी, राहुल गांधी के करीबी हैं। बड़ी बात ये है कि कांग्रेस ने उमंग सिंघार को भी एमपी का नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है। उमंग सिंघार और जीतू पटवारी किसी भी खेमे के नेता नहीं है। ऐसे में आलाकमान ने बड़ा संदेश दिया है कि अब एमपी की सियासत में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की मनमर्जी नहीं चलेगी।

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए एमपी में तीन बड़े वर्गों को साधने की कोशिश की है। जीतू पटवारी को ओबीसी वर्ग से आते हैं। वह खाती समाज से हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार आदिवासी समुदाय से आते हैं। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे सामान्य वर्ग हैं और ब्राह्मण नेता हैं। ऐसे में कांग्रेस ने जातिगत समीकरणों का भी ध्यान रखा है।

दिग्विजय के दुश्मन नंबर वन हैं उमंग सिंघार
उमंग सिंघार मध्यप्रदेश की सियासत के किसी गुट के नेता नहीं हैं। राहुल गांधी के करीबी होने के कारण उमंग सिंघार एक अलग लाइन से ही राजनीति करते हैं। उमंग सिंघार और दिग्विजय सिंह के बीच विवाद जगजाहिर है। एमपी में कमलनाथ की सरकार थी तब उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर शराब और जमीन माफिया होने का आरोप लगाया था। बता दें कि सिंघार एमपी की पूर्व डेप्युटी सीएम जमुना देवी के भतीजे हैं। जमुना देवी, दिग्विजय सरकार में मंत्री थीं। उस दौरान भी दोनों के रिश्ते तल्खी भरे थे।

क्या दिग्गजों से किनारा कर रही है कांग्रेस
एमपी में विधानसभा चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में हुए लेकिन कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह चुनाव में सबसे ज्यादा एक्टिव थे। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह हाई कमान के पसंदीदा नेताओं में से एक हैं। हार के बाद भोपाल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई थी जिसमें कमलनाथ नहीं पहुंचे थे। इस दौरान कहा गया था कि दिग्विजय सिंह अजय सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते हैं वहीं, कमलनाथ अपने नेता को यह पद दिलवाना चाहते हैं।
ऐसे में कांग्रेस ने दोनों नेताओं की पसंद को दरकिनार कर युवा चेहरों को मौका दिया है। राहुल गांधी ने इस बार संदेश देने की कोशिश की है कि कांग्रेस में भी छोटे कार्यकर्ताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *