रायपुर, 07 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागू की गई युक्तियुक्तकरण नीति ने अब सुदूर ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में भी शैक्षिक क्रांति की बुनियाद रख दी है। दुर्ग जिले के धमधा विकासखंड अंतर्गत ग्राम तुमाखुर्द स्थित शासकीय प्राथमिक शाला इसका एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरी है।
जहां एक शिक्षक के सहारे चलता था स्कूल…
कुछ समय पहले तक यह विद्यालय केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहा था, जो कक्षा पहली से पांचवीं तक के सभी विषयों का अकेले संचालन कर रहे थे। इससे न केवल शिक्षण गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी, बल्कि बच्चों की उपस्थिति और सीखने की रुचि में भी लगातार गिरावट आ रही थी।
खुशबू, जो कक्षा तीन की छात्रा है, कभी स्कूल आने में संकोच करती थी। उसके माता-पिता, जैसे कई अन्य अभिभावक भी, अपने बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर चिंताओं में थे।
✅ युक्तियुक्तकरण से मिली नई ऊर्जा और शिक्षण व्यवस्था को नया आयाम
शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण नीति के तहत स्कूल में एक योग्य शिक्षक की नियुक्ति की। इस परिवर्तन ने स्कूल की सूरत और सीरत दोनों को बदल दिया। अब कक्षाएं नियमित हैं, पढ़ाई खेल, कविता, कहानी और गतिविधियों के माध्यम से हो रही है।
खुशबू मुस्कुराते हुए बताती है, “अब स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है। हम खेलते भी हैं और सीखते भी हैं। सर हमें नई कविताएं, कहानियां और ढेर सारे खेल सिखाते हैं।”
उपस्थिति 100%, माहौल आनंदमय
बदलते माहौल का असर स्कूल की उपस्थिति पर भी साफ नजर आने लगा है। अब यहां शत-प्रतिशत उपस्थिति देखी जा रही है।
विद्यालय अब केवल एक भवन नहीं, बल्कि बच्चों के सपनों का केंद्र बन गया है – जहाँ जिज्ञासा, आनंद और सीखने की भावना हिलोरें मार रही है।
अभिभावकों में लौट रहा है विश्वास
अब अभिभावकों को भरोसा है कि उनके बच्चे गुणवत्तापूर्ण, नियमित और समर्पित शिक्षण पा रहे हैं।
शिक्षक की प्रतिबद्धता और शासन की नीति ने मिलकर ग्रामीण शिक्षा को एक नई दिशा दी है।
हर बच्चा सीखे – यही है उद्देश्य
युक्तियुक्तकरण नीति, केवल शिक्षकों का पुनर्विन्यास नहीं है, बल्कि यह नीति हर गांव, हर बच्चे को शिक्षा के उजाले से जोड़ने का संकल्प है।
खुशबू जैसी छात्राओं की मुस्कान, उनकी आंखों की चमक और ज्ञान के प्रति उत्साह ही इस नीति की सच्ची सफलता की कहानी है।