गृह मंत्रालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल CISF में जवानों की अधिकृत संख्या को 1,62,000 से बढ़ाकर 2,20,000 करने की मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक निर्णय भारत की सुरक्षा नीतियों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा, जो औद्योगिक सुरक्षा को और मजबूत करने तथा रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करने में मदद करेगा।
संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा करता है बल
पंजाब हरियाणा सिविल सेक्रेटेरिएट के यूनिट कमांडर ललित पवार ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि हो रही है और इसे सुचारू रूप से संचालित रखने के लिए सुरक्षा के तंत्र को मजबूत करना आवश्यक है। इस विस्तार से CISF की तैनाती कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में होगी, जिनमें विमानन क्षेत्र, बंदरगाह, थर्मल पावर प्लांट्स, परमाणु प्रतिष्ठान, जल विद्युत संयंत्र और जम्मू-कश्मीर स्थित जेल जैसे संवेदनशील क्षेत्र शामिल हैं। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में वामपंथी उग्रवाद में कमी के साथ नए औद्योगिक केंद्रों का उभरना संभव है, जिसके लिए CISF की उपस्थिति को और मजबूती से बढ़ाना आवश्यक हो गया है।
इस साल चल रही 24 हजार पदों पर भर्ती
पवार ने बताया कि देश की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए CISF में तैनात कर्मियों की संख्या में विस्तार किया जा रहा है। वर्ष 2024 में 13,230 नए कर्मियों की भर्ती की गई और 2025 में 24,098 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। अगले पांच वर्षों में हर साल लगभग 14 हजार नए जवान CISF में शामिल किए जाएंगे। जो बल को युवा ऊर्जा प्रदान करेंगे और इसे आने वाली सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए और अधिक सक्षम बनाएंगे। इन भर्तियों में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ने की उम्मीद है, जिसे CISF की उन नीतियों का समर्थन प्राप्त है जो महिलाओं को हर स्तर पर प्रतिनिधित्व देने की दिशा में कार्य कर रही है।
CISF में बन सकती है नई बटालियन
पवार ने बताया कि बल की ताकत में यह इजाफा एक नई बटालियन के गठन का मार्ग भी प्रशस्त करेगा, जो आंतरिक सुरक्षा और आपात तैनाती जैसी जरूरतों में अहम भूमिका निभाएगी। इसके अलावा पिछले साल सीआईएसएफ ने अपनी सुरक्षा विंग के तहत सात नई इकाइयां शुरू की हैं, जिसमें संसद भवन परिसर, अयोध्या एयरपोर्ट, हजारीबाग में स्थित एनटीपीसी की कोयला खदान परियोजना, पुणे का ICMR-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, बक्सर और एटा के ताप विद्युत संयंत्र और मंडी की ब्यास सतलुज लिंक परियोजना शामिल हैं। साथ ही, संसद भवन और एटा की परियोजना में अग्निशमन की दो नई इकाइयां भी शामिल की गई हैं।