छत्तीसगढ़ में मानसून फिर रौद्र रूप दिखा रहा है। बस्तर संभाग के चार जिले – बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में रेड अलर्ट जारी किया गया है। वहीं कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में ऑरेंज अलर्ट है।
बाकी जिलों, जिनमें रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर शामिल हैं, वहां आकाशीय बिजली गिरने और गरज-चमक को लेकर चेतावनी दी गई है। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले दो दिन यही स्थिति बनी रहेगी।
बारिश से हालात
-
पिछले 24 घंटे में दुर्ग संभाग में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
-
कई जगह सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया, शंकर नगर जैसे इलाके पूरी तरह जलमग्न हो गए।
-
रायपुर में रविवार को 15 मिमी पानी गिरा और दिन का पारा 33.3 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से करीब 3 डिग्री ज्यादा है।
क्यों बरस रहा है इतना पानी?
-
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि विदर्भ क्षेत्र में लो-प्रेशर एरिया बना है।
-
उत्तर आंध्र प्रदेश और दक्षिण ओडिशा तट पर बने नए सिस्टम से बस्तर में भारी से अति भारी बारिश की संभावना है।
अब तक का बारिश का रिकॉर्ड
-
1 जून से अब तक प्रदेश में 740.6 मिमी औसत बारिश हो चुकी है।
-
बलरामपुर में सबसे ज्यादा 1141.4 मिमी, जबकि बेमेतरा में सबसे कम 364.1 मिमी दर्ज।
-
सिर्फ जुलाई में 453.5 मिमी पानी गिरा। यह पिछले 10 सालों में तीसरी बार है जब जुलाई का आंकड़ा 400 मिमी से ऊपर गया।
आकाशीय बिजली: कैसे गिरती है और क्यों खतरनाक है
-
बादलों में मौजूद विपरीत ऊर्जा टकराने से घर्षण पैदा होता है और बिजली बनती है।
-
बिजली धरती पर उतरने के लिए सबसे तेज़ कंडक्टर (संचालक) तलाशती है।
-
इंसान, पोल या ऊंची धातु की वस्तुएं इसके निशाने पर सबसे पहले आ जाती हैं।
-
इसकी क्षमता 12.5 करोड़ वॉट तक हो सकती है और तापमान सूर्य की सतह से भी ज्यादा होता है।
मिथ बनाम सच्चाई
बिजली एक जगह दोबारा नहीं गिरती – गलत।
टायर, रबर या फोम से बचाव संभव – गलत।
नाव से बाहर आना सुरक्षित है – गलत।
सच यह है कि दोपहर के समय बिजली गिरने का खतरा ज्यादा होता है और सिर, कंधे व गले पर इसका असर घातक साबित होता है।