नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी, खेल प्रबंधन में बड़े बदलाव का रास्ता साफ
भारत में खेल प्रशासन सुधारने के उद्देश्य से लाए गए नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। सोमवार को जारी राजपत्र अधिसूचना में इसकी पुष्टि हुई।
यह बिल 23 जुलाई को लोकसभा में पेश हुआ था और 11 अगस्त को वहां से पारित हुआ। अगले ही दिन राज्यसभा में इस पर दो घंटे से अधिक चर्चा हुई और अंततः 12 अगस्त को इसे मंजूरी मिल गई।
1975 से अटका रहा प्रस्ताव
दरअसल, नेशनल स्पोर्ट्स बिल की अवधारणा पहली बार 1975 में सामने आई थी। लेकिन राजनीतिक अड़चनों और टकरावों के कारण यह बार-बार अटकता रहा। 2011 में नेशनल स्पोर्ट्स कोड बना, जिसे बाद में बिल में बदलने की कोशिश की गई, पर वह भी सफल नहीं हो सका। अब 2036 ओलंपिक की मेजबानी की तैयारी के साथ पारदर्शी खेल प्रबंधन के लिए इसे लागू किया गया है।
BCCI अब भी RTI से बाहर
बिल में संशोधन के बाद यह साफ हो गया है कि BCCI पर अभी भी RTI लागू नहीं होगा, क्योंकि वह खेल मंत्रालय से किसी तरह का अनुदान नहीं लेता। इस कानून के दायरे में केवल वे खेल संगठन आएंगे, जिन्हें सरकार से आर्थिक सहायता मिलती है। लंबे समय से यह मांग उठती रही है कि BCCI को भी RTI के दायरे में लाया जाए, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं होगा।
बिल के प्रमुख प्रावधान
खेल मंत्री मनसुख मंडाविया द्वारा पेश किए गए इस बिल में कई अहम संस्थाओं के गठन का प्रस्ताव है –
-
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बॉडी
-
नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड
-
नेशनल स्पोर्ट्स इलेक्शन पैनल
-
नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल
इन संस्थाओं का मकसद खेल संगठनों में जवाबदेही, पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करना है।
नेशनल एंटी-डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025
इस बार संसद में एंटी-डोपिंग व्यवस्था को लेकर भी बड़ा बदलाव किया गया है।
क्यों लाया गया नया संशोधन?
-
2022 में लागू नेशनल एंटी-डोपिंग एक्ट पर WADA (वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी) ने आपत्ति जताई थी।
-
WADA ने कहा कि भारत की व्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप अधिक है, क्योंकि नेशनल बोर्ड फॉर एंटी-डोपिंग को NADA पर नियंत्रण का अधिकार दिया गया था।
-
यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के खिलाफ था और भारत पर प्रतिबंध लगने का खतरा बढ़ गया था।
2025 में हुए बदलाव
-
नेशनल बोर्ड फॉर एंटी-डोपिंग अब भी रहेगा, लेकिन उसका NADA पर कोई प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं होगा।
-
NADA को पूरी तरह संचालन की स्वतंत्रता दी गई है।
-
अब डोपिंग मामलों पर फैसला केवल विशेषज्ञ और अधिकारी करेंगे, न कि कोई राजनीतिक नियुक्त व्यक्ति।
इससे होगा लाभ
-
भारत का एंटी-डोपिंग सिस्टम पूरी तरह WADA मानकों के अनुरूप होगा।
-
खिलाड़ियों को निष्पक्ष जांच और सुनवाई मिलेगी।
-
भारत की अंतरराष्ट्रीय साख सुरक्षित रहेगी और ओलंपिक या अन्य प्रतियोगिताओं से बैन का खतरा नहीं रहेगा।