700 में बिक रही 266 वाली यूरिया, जशपुर के किसान परेशान – समितियों पर ब्लैक मार्केटिंग के आरोप
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में किसान यूरिया खाद के लिए महीनों से सोसायटी के चक्कर लगा रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब भी वे समिति पहुँचते हैं, उन्हें नए-नए बहाने बनाकर लौटा दिया जाता है। रोपाई के समय सबसे ज्यादा ज़रूरत यूरिया की होती है, लेकिन कोतबा सोसायटी के हालात इतने खराब हैं कि किसान हताश हो गए हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि शासन से मिलने वाली 266 रुपए की यूरिया खाद खुले बाजार में 650 से 700 रुपए में बिक रही है। सहकारी समितियों में पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद किसानों को खाद उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही और मिलीभगत के कारण किसान शोषण का शिकार हो रहे हैं।
किसानों की नाराज़गी फूटी
कोतबा समिति में मंगलवार को सैकड़ों किसान जमा हुए और जमकर विरोध दर्ज कराया। संतराम नारंग, कृपाल पैंकरा, सुरेश पैंकरा समेत कई किसानों ने बताया कि समिति में यूरिया होने के बावजूद “डीडी नंबर जारी नहीं हुआ” कहकर उन्हें वापस भेजा जा रहा है। किसानों का कहना है कि यहाँ दो प्रबंधक पदस्थ हैं, लेकिन कोई मौजूद नहीं रहता। गोदाम में 730 बोरी यूरिया रखी हुई है, फिर भी किसानों को महीनों से खाद नहीं दी जा रही।
ब्लैक मार्केटिंग का आरोप
अनुक साय, बालक राम, सुरजनाथ पैंकरा समेत कई किसानों ने कहा कि समिति से यूरिया दुकानदारों तक कैसे पहुँच रही है, यह बड़ा सवाल है। उनका आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से खाद की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है।
किसानों की माँग
किसानों ने सरकार से मांग की है कि –
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यूरिया खाद उचित मूल्य (₹266) पर तुरंत उपलब्ध कराई जाए।
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सहकारी समितियों में नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
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ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए।
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दोषी अधिकारियों और प्रबंधकों पर तुरंत सख्त कदम उठाए जाएँ।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
पत्थलगांव एसडीएम ऋतुराज बासेन ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश तहसीलदार को दिए गए हैं।