Online Gaming Bill 2025: केंद्र सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए ऑनलाइन गेमिंग बिल को मंजूरी दे दी है। इस बिल के तहत किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जुआ और सट्टेबाजी करना अब दंडनीय अपराध माना जाएगा। इतना ही नहीं, ऐसे खेलों को प्रमोट करने वाले विज्ञापनों पर भी सख्त पेनल्टी लग सकती है। यह बिल बुधवार को लोकसभा में पेश हो सकता है।
⚖️ बिल की मुख्य बातें
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जुआ और सट्टेबाजी अपराध – ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह की बेटिंग या जुए की अनुमति नहीं।
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विज्ञापनों पर रोक – सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन भी दंडनीय होंगे।
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केंद्रीय रेगुलेटर – सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस सेक्टर का रेगुलेटर बनाया जा सकता है।
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यूजर्स की सुरक्षा – खिलाड़ियों को धोखाधड़ी और लत से बचाने पर फोकस।
❓ क्यों ज़रूरी है यह कानून?
ऑनलाइन गेमिंग पिछले कुछ सालों में युवाओं के बीच तेजी से बढ़ा है। लेकिन इसके साथ आई हैं कई समस्याएँ:
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लत और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
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अलग-अलग राज्यों के असमान नियम
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धोखाधड़ी और अवैध साइट्स की भरमार
सरकार चाहती है कि पूरे देश में एक समान ढांचा बने, ताकि खिलाड़ी सुरक्षित रहें और अवैध गतिविधियों पर रोक लगे।
पहले से लागू कड़े कदम
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अक्टूबर 2023 से ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लागू।
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2025 से जीत की रकम पर 30% टैक्स भी अनिवार्य।
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विदेशी (ऑफशोर) गेमिंग प्लेटफॉर्म भी भारतीय टैक्स दायरे में।
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2022 से अब तक 1500 से ज्यादा अवैध वेबसाइट्स ब्लॉक।
अवैध साइट्स पर सीधा शिकंजा
बिल सरकार को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी अनरजिस्टर्ड या गैरकानूनी गेमिंग प्लेटफॉर्म को तुरंत ब्लॉक कर सके।
असर क्या होगा?
अगर यह बिल संसद से पास होता है, तो भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार होगा।
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जिम्मेदार और सुरक्षित गेमिंग को बढ़ावा मिलेगा।
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सट्टेबाजी और जुए की गतिविधियों पर कड़ा प्रहार होगा।
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खिलाड़ियों का भरोसा और निवेशकों का विश्वास दोनों मजबूत होंगे।