भारत और चीन के बीच रिश्तों में नई पहल देखने को मिल रही है। दोनों देशों ने आपसी मतभेद कम करने और सहयोग बढ़ाने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। 19 अगस्त को एनएसए अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई विशेष वार्ता में सीमा विवाद, व्यापार, यात्राओं और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग जैसे मुद्दों पर सहमति बनी।
मुख्य बिंदु:
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भारत-चीन डायरेक्ट फ्लाइट्स जल्द बहाल होंगी।
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सीमा व्यापार नाथू ला, लिपुलेख और शिपकी दर्रे से शुरू होगा।
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कैलाश-मानसरोवर यात्रा का बड़ा विस्तार 2026 से किया जाएगा।
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कारोबारियों और पर्यटकों के लिए वीज़ा प्रक्रिया आसान होगी।
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दोनों देशों ने WTO, BRICS और SCO जैसे मंचों पर साझेदारी बढ़ाने का संकल्प लिया।
सीमा विवाद सुलझाने की दिशा
दोनों देशों ने एलएसी पर बने तनाव को कम करने के लिए विशेषज्ञ समूह बनाने और पूर्वी, मध्य व पश्चिमी क्षेत्रों के लिए मज़बूत तंत्र विकसित करने पर सहमति जताई। खासकर पश्चिमी क्षेत्र यानी लद्दाख में चार साल से चल रहे गतिरोध को हल करने पर ज़ोर दिया गया।
व्यापार और धार्मिक यात्राएं
कोविड और LAC विवाद के बाद बंद हुई सीधी उड़ानें जल्द ही फिर से चालू की जाएंगी। सीमा पार व्यापारिक गतिविधियाँ भी बहाल होंगी। साथ ही, कैलाश-मानसरोवर यात्रा को बड़े स्तर पर शुरू करने का रोडमैप तैयार किया गया है।
जल विवाद और आतंकवाद
भारत ने ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के बांध निर्माण को लेकर चिंता जताई और पारदर्शिता बढ़ाने की मांग की। चीन ने मानवीय आधार पर जल संबंधी सूचनाएं साझा करने का आश्वासन दिया। इसके अलावा, भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाया, जिस पर वांग यी ने भी माना कि आतंकवाद से निपटना दोनों देशों के लिए प्राथमिकता है।
रिश्तों में सकारात्मक संकेत
NSA अजीत डोभाल के अनुसार, हाल के महीनों में दोनों देशों के रिश्तों में सुधार हुआ है। वहीं चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि सीमाओं पर स्थिरता लौट रही है, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को लाभ मिलेगा।
कुल मिलाकर, भारत और चीन अब मतभेदों को किनारे कर रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश में हैं। हालांकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन उड़ानों की बहाली, सीमा व्यापार और धार्मिक यात्राओं की शुरुआत रिश्तों में सुधार का संकेत देती है।