छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में संकुल प्राचार्यों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम बुधवार को संपन्न हुआ। इस अवसर पर शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने को लेकर गहन चर्चा हुई। समापन सत्र में डाइट प्राचार्य जे.के. घृतलहरे ने कहा कि शिक्षा ही भविष्य निर्माण की असली नींव है और इसे मज़बूत करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान पर जोर
प्राचार्य घृतलहरे ने कहा कि सरकार ने प्रदेश के शासकीय विद्यालयों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान 2025 शुरू किया है। यह अभियान शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देगा और बच्चों को समग्र व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करेगा।
सामाजिक अंकेक्षण और ग्रेडिंग प्रणाली
घृतलहरे ने बताया कि अब विद्यालयों की ग्रेडिंग सामाजिक अंकेक्षण के आधार पर होगी। इसमें शिक्षण पद्धति, विद्यार्थियों की उपलब्धियां, आधारभूत सुविधाएं और शिक्षक उपस्थिति जैसे संकेतकों को शामिल किया जाएगा।
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कमजोर विद्यालयों की नियमित मॉनिटरिंग होगी।
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साथ ही मॉडल स्कूलों को चिन्हित कर उनके अनुभवों को साझा किया जाएगा।
अभिभावक-शिक्षक साझेदारी
उन्होंने कहा कि पालक-शिक्षक बैठकें (PTM) अब केवल औपचारिकता नहीं रहेंगी, बल्कि संवाद और सहभागिता का प्लेटफॉर्म बनेंगी। इससे बच्चों की पढ़ाई में अभिभावक और शिक्षक दोनों मिलकर सहयोग कर पाएंगे।
शिक्षकों की भूमिका और प्रशिक्षण
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शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण तकनीक और छात्र-केंद्रित पद्धतियों में प्रशिक्षित किया जाएगा।
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टेक्नोलॉजी आधारित शिक्षण और जादुई पिटारा जैसी शिक्षण सामग्रियों का उपयोग बढ़ेगा।
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पियर लर्निंग (Peer Learning) को बढ़ावा मिलेगा ताकि बच्चे एक-दूसरे से सीखकर अवधारणाओं को और सरलता से समझ सकें।
मास्टर ट्रेनर्स के सुझाव
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मास्टर ट्रेनर विकेश यादव ने रुब्रिक्स के सभी स्टार बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी दी।
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दीपिका साहू ने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्तर पर बनाए गए संकेतकों पर पीपीटी प्रस्तुति दी।
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जितेंद्र सिन्हा ने जादुई पिटारा और कक्षा में सहायक सामग्री के महत्व पर जोर दिया।
इस तरह प्रशिक्षण कार्यक्रम ने प्राचार्यों को शिक्षा गुणवत्ता सुधार की दिशा में ठोस सुझाव और रणनीतियां दीं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल छत्तीसगढ़ को शिक्षा के क्षेत्र में एक मॉडल राज्य बना सकती है।