जरूरत की खबर: अब डिजिटल इंटरमिटेंट फास्टिंग

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आंखों और दिमाग को दें स्क्रीन से राहत | अपनाएं 20-20-20 रूल

व्रत सिर्फ खाने-पीने तक सीमित नहीं है। आज के डिजिटल दौर में आंखों और दिमाग को भी “उपवास” की जरूरत है। इसी सोच से निकला है डिजिटल फास्टिंग—जहां कुछ समय के लिए मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसी स्क्रीन से दूरी बनाई जाती है।


डिजिटल इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?

जैसे शरीर को उपवास से आराम मिलता है, वैसे ही स्क्रीन से ब्रेक लेने पर आंखों और दिमाग को सुकून मिलता है। इससे नींद बेहतर होती है, थकान घटती है और मन फ्रेश रहता है।


क्यों जरूरी है?

रिपोर्ट्स बताती हैं कि लोग रोजाना औसतन 6–7 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं।
नतीजा — आंखों में थकान, नींद की कमी, स्ट्रेस और स्क्रीन एडिक्शन।


स्क्रीन के नुकसान

  • आंखों में ड्रायनेस और जलन

  • नींद का पैटर्न बिगड़ना

  • तनाव और सिरदर्द

  • बच्चों में पढ़ाई से ध्यान भटकना


कैसे अपनाएं डिजिटल फास्टिंग?

  • सुबह उठकर 30 मिनट तक मोबाइल न देखें

  • रात को सोने से 1 घंटा पहले फोन बंद करें

  • शुरुआत में दिन में 1–2 घंटे स्क्रीन-फ्री टाइम लें

  • हफ्ते में एक दिन सोशल मीडिया डिटॉक्स करें


बच्चों और बड़ों के लिए अलग नियम

बच्चे: रोज 1–2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन न दें
बड़े: काम के बीच छोटे-छोटे ब्रेक, योग और ध्यान ज़रूरी


ऑफिस वर्कर्स के लिए 20-20-20 रूल

हर 20 मिनट पर — 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकेंड तक देखें।
इससे आंखों का प्रेशर कम होगा और दिमाग को रिफ्रेश मिलेगा।


फायदे

✅ आंखों की थकान कम
✅ नींद बेहतर
✅ प्रोडक्टिविटी और क्रिएटिविटी में बढ़ोतरी
✅ स्ट्रेस और ब्रेन फटीग से बचाव


⚡संक्षेप में:
जैसे शरीर को हेल्दी रखने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाई जाती है, वैसे ही दिमाग और आंखों को हेल्दी रखने के लिए डिजिटल इंटरमिटेंट फास्टिंग आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

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