सदियों पुराने बार्टर सिस्टम की जगह आधुनिक मनी एक्सचेंज
भारत और चीन के बीच उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से व्यापार फिर शुरू होने जा रहा है।
18-19 अगस्त को चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के दौरान यह फैसला हुआ।
इसके साथ ही शिपकी ला और नाथु ला दर्रों से भी कारोबारी रास्ते खोले जाएंगे।
सबसे बड़ा बदलाव:
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अब व्यापार भारतीय रुपए और चीनी युआन में होगा।
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पहले यह वस्तु विनिमय (बार्टर सिस्टम) पर आधारित था।
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लिपुलेख पर मनी एक्सचेंज सेंटर भी खुलेगा।
क्या-क्या बिकेगा?
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तिब्बत से: नमक, बोराक्स, जड़ी-बूटियां, पशु उत्पाद
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भारत से: बकरी, भेड़, अनाज, मसाले, गुड़, मिश्री, गेहूं
नेपाल की आपत्ति:
नेपाल का कहना है कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी उसका इलाका है।
उसने भारत-चीन से यहां कोई गतिविधि न करने की अपील की।
इतिहास:
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ब्रिटिश काल से लिपुलेख व्यापार और तीर्थयात्रा का केंद्र।
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1991: इसे औपचारिक व्यापारिक मार्ग घोषित किया गया।
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2005: ₹12 करोड़ का आयात, ₹39 लाख का निर्यात।
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2018: ₹5.59 करोड़ का आयात, ₹96.5 लाख का निर्यात।
️ नई व्यवस्था:
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पहली बार ऑल वेदर रोड से गाड़ियों में व्यापार होगा।
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धारचूला–लिपुलेख सड़क और गूंजी गांव मंडी व्यापार को बढ़ावा देंगे।
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केंद्र सरकार नियमों को अंतिम रूप दे रही है।
️ लिपुलेख का महत्व:
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5,334 मीटर ऊंचाई पर स्थित, भारत-तिब्बत सांस्कृतिक और व्यापारिक साझेदारी का प्रतीक।
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10वीं सदी से व्यापार का ऐतिहासिक रास्ता।
हाइलाइट:
“1100 साल पैदल और खच्चरों से ढोया गया माल, अब पहाड़ों में ट्रक से पहुंचेगा!”