भारतीय नौसेना को मंगलवार को एक साथ दो अल्ट्रा-मॉडर्न, स्वदेशी युद्धपोत मिले – INS उदयगिरि और INS हिमगिरि। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ये दोनों जहाज देश में ही डिज़ाइन और तैयार किए गए हैं और इन्हें खास तौर पर इस तरह बनाया गया है कि ये दुश्मन के रडार, इंफ्रारेड और ध्वनि सेंसर को मात दे सकें।
इन जहाजों की तैनाती इंडो-पैसिफिक रीजन में होगी, जिससे भारत की समुद्री शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी।
⚔️ दमदार हथियारों से लैस
-
ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल – हवा, ज़मीन और समुद्र पर सटीक प्रहार करने की क्षमता
-
बराक-8 लॉन्ग रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM) – लंबी दूरी तक दुश्मन के हवाई खतरों को खत्म करने में सक्षम
-
76mm नौसैनिक बंदूकें और उन्नत टॉरपीडो सिस्टम – पनडुब्बियों और सतही लक्ष्यों के लिए
-
एडवांस स्टेल्थ टेक्नोलॉजी – रडार और थर्मल सेंसर से छिपने की क्षमता
⚓ कहां और कैसे बने ये युद्धपोत
-
INS हिमगिरि: कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने तैयार किया। इसका नाम भारतीय नौसेना के पुराने INS हिमगिरि के नाम पर रखा गया।
-
INS उदयगिरि: मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने केवल 37 महीनों में बनाया। इसका नाम आंध्र प्रदेश के उदयगिरि पर्वत श्रृंखला से लिया गया।
ये दोनों जहाज प्रोजेक्ट 17 अल्फा (P-17A) का हिस्सा हैं, जो भारतीय नौसेना को हाई-एंड स्टेल्थ फ्रिगेट्स उपलब्ध कराने का बड़ा प्रोजेक्ट है।
भारतीय नौसेना का लगातार बढ़ता दमखम
2025 में भारतीय नौसेना के पास:
-
2 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां
-
1 परमाणु-संचालित अटैक सबमरीन
-
17 डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियां
-
13 विध्वंसक (Destroyers)
-
15 फ्रिगेट्स, 18 कॉर्वेट्स
-
2 विमानवाहक पोत (INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य)
-
INS जलाश्व जैसे उभयचर जहाज और कई अन्य यूटिलिटी क्राफ्ट
भारतीय नौसेना का लक्ष्य है कि 2035 तक 175 जहाजों की ताकत हासिल की जाए। अभी 50 नए जहाज निर्माणाधीन हैं।
️ हाल ही में शामिल किए गए जहाज
-
INS अर्णाला (18 जून 2025): पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट
-
INS सूरत, INS नीलगिरि, INS वाघशीर (15 जनवरी 2025): तीन आधुनिकतम वॉरशिप, जिन्हें पीएम मोदी ने कमीशन किया था
निष्कर्ष: INS उदयगिरि और हिमगिरि के आने से भारतीय नौसेना को एक और बड़ा रणनीतिक बढ़त मिली है। ये सिर्फ तकनीक में नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता का भी बड़ा उदाहरण हैं।