गढ़चिरौली एनकाउंटर: 4 नक्सली ढेर, भारी हथियार बरामद

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बीजापुर में 30 नक्सलियों का सरेंडर; 81 लाख के इनामी ने भी हथियार डाले

छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बॉर्डर पर सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली। गढ़चिरौली के कोपरशी गांव में बुधवार को हुए एनकाउंटर में 4 नक्सलियों को मार गिराया गया
मौके से 1 इंसास रायफल, 2 SLR और एक .303 रायफल समेत भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए।
बीजापुर में 30 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का ऐलान किया।


ऑपरेशन की कहानी: इनपुट से एनकाउंटर तक

  • खुफिया सूत्रों से नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिली।

  • गढ़चिरौली पुलिस की C-60 कमांडो टीम जंगल में सर्च ऑपरेशन पर निकली।

  • अचानक नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू की, जवाबी फायरिंग में चार नक्सली ढेर हो गए।

  • इलाके में सर्च अभियान अब भी जारी है; अन्य नक्सलियों के छिपे होने की आशंका।

नोट: शवों को हेलीकॉप्टर से गढ़चिरौली लाया गया।


️ बीजापुर में आत्मसमर्पण:

  • 30 नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय बल अधिकारियों के सामने हथियार डाले।

  • इनमें 20 इनामी नक्सली शामिल, DVCM सोनू हेमला उर्फ कोरोटी (₹8 लाख इनामी) भी पत्नी संग सरेंडर करने वालों में।

  • सरेंडर करने वालों को ₹50,000 का चेक और पुनर्वास पैकेज दिया गया।

सरेंडर लिस्ट:

  • कंपनी नंबर-02 के 5 सदस्य

  • ACM, एरिया कमेटी पार्टी सदस्य, जनताना सरकार प्रतिनिधि, मिलिशिया सदस्य आदि


नक्सल अभियान का हाल (2024-25):

  • 2025 (अब तक): 331 गिरफ्तार, 307 सरेंडर, 132 ढेर

  • 2024 (पूरे साल): 834 गिरफ्तार, 496 सरेंडर, 190 मुठभेड़ों में मारे गए


❌ सिलगेर में शिक्षादूत की हत्या

बीजापुर-सुकमा बॉर्डर के सिलगेर गांव में नक्सलियों ने शिक्षक लक्ष्मण बाडसे की बेरहमी से हत्या कर दी।

  • धारदार हथियार से वार कर हत्या की गई।

  • नक्सलियों को शक था कि वह पुलिस को सूचना दे रहे थे।

  • यह कोई पहली वारदात नहीं; बीजापुर-सुकमा में अब तक 7 शिक्षादूतों की हत्या हो चुकी है।


क्यों छोड़ रहे नक्सली संगठन?

  1. आंतरिक मतभेद और विचारधारा से मोहभंग

  2. सरकारी योजनाओं और सुरक्षा बलों का सीधा संवाद

  3. परिवार संग सुरक्षित जीवन जीने की चाह


Bottomline:
गढ़चिरौली का एनकाउंटर और बीजापुर में बड़े सरेंडर से साफ है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों की पकड़ मजबूत हो रही है। विकास योजनाओं और लगातार ऑपरेशन के चलते माओवादियों का नेटवर्क कमजोर हो रहा है।

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