ईरान के एक पुलिस स्टेशन पर हुए चरमपंथी हमले को लेकर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ईरान के कड़े शब्द सुनाई दे रहे हैं.
शुक्रवार को ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में रास्क के एक पुलिस कार्यालय पर हुए हमले में कम से कम 11 ईरानी सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई थी. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने रविवार को इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि ‘आतंकवाद’ से लड़ने के लिए मिलकर काम करने की ज़रूरत है.
वहीं ईरान ने अब पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा है कि पाकिस्तान का अपनी सीमाओं पर नियंत्रण नहीं है. इस हमले के लिए चरमपंथी संगठन जैश अल-अद्ल को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है जिसे ईरान ने एक ‘आतंकी’ संगठन घोषित किया हुआ है. ये संगठन दक्षिण पूर्वी ईरान से काम करता है और ये इलाक़ा पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है.
ईरान के मंत्री ने क्या कहा
ईरान के गृह मंत्री अहमद वाहिदी ने शनिवार को सिस्तान-बलूचिस्तान में उस जगह का दौरा किया था जहां पर चरमपंथी हमला हुआ था.
तसनीम न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़ वाहिदी ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि हमारे पड़ोसियों का अपनी सीमाओं पर नियंत्रण रहे और वो अधिक सतर्कता बरते क्योंकि ये माना जाता है कि आतंकी समूह सीमा पार से आते हैं.”
उन्होंने कहा, “इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तानी सरकार सीमा और किसी भी कोने को नियंत्रित करे जहां से आतंकवादी समूह सीमा पार कर सकते हैं. ताकि भविष्य में इस तरह के हमलों को रोका जा सके.”
ईरान के गृह मंत्री का कहना है कि ‘दुश्मन’ ने एक भारी हमले की तैयारी की थी लेकिन ये नाकाम हो गया.
वाहिदी ने इसराइल को सिस्तान-बलूचिस्तान में सक्रिय ‘आतंकी’ समूहों का समर्थक बताया है.
पाकिस्तानी बॉर्डर को लेकर संकट
सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा स्थितियों को बेहतर करने की ईरान की कोशिशें हाल के सालों में काफ़ी सफल नहीं हो सकी हैं. सुरक्षाबलों के कड़े ऑपरेशनों के बावजूद इस क्षेत्र में हथियारबंद ड्रग्स गैंग, हथियार तस्कर और सुन्नी चरमपंथी समूह सक्रिय हैं. जैश अल-अद्ल एक मुख्य सुन्नी चरमपंथी समूह है जो ईरानी सुरक्षाबलों को लगातार निशाना बनाता रहा है. इसने हालिया सालों में हमले और तेज़ किए हैं.
इसी साल अगस्त महीने में प्रांत में एक बॉर्डर गार्ड की हत्या की गई थी. वहीं 8 जुलाई को चार पुलिस अफ़सरों को गोली मार दी गई थी. 23 जुलाई को हथियारबंद चरमपंथियों के साथ झड़प में छह अन्य पुलिसकर्मी मारे गए थे. ईरान और पाकिस्तान के अधिकारी और मिलिट्री कमांडर्स अकसर सीमा की सुरक्षा को लेकर चर्चा करते रहते हैं लेकिन इस्लामाबाद ईरान की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने में समर्थ नहीं है.
हाल ही में इस मुद्दे पर एक बैठक हुई है. पाकिस्तान के रक्षा सचिव हमूद उज़ ज़मां ख़ान ने ईरान के उप रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल मेहदी फ़राही से मुलाक़ात की है. इस दौरान दोनों ने हथियारबंद संगठनों से निपटने में सहयोग करने का विश्वास दिलाया है.
सीमा सुरक्षा को लेकर बढ़ती निराशा
ईरान में 15 दिसंबर को हुई इस घटना के बाद सरकार के अंदर कड़ी आलोचनाएं हो रही हैं. ईरानी सुरक्षाबलों पर हाल के सालों में ये सबसे गंभीर हमला है. राष्ट्रीय सुरक्षा संसद और विदेश नीति समिति के सदस्य फ़िदाहुसैन मालिकी का कहना है कि पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. ज़ाहेदान सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी है.
उन्होंने बोर्ना न्यूज़ एजेंसी से कहा है, “हम पाकिस्तान को एक अपराधी की तरह देखते हैं क्योंकि वो (आतंकी संगठन) वहां बसे हुए हैं.”
पाकिस्तान के अलावा ईरानी सरकार की भी आलोचनाएं हो रही हैं. उस पर आरोप लग रहे हैं कि वो सुरक्षाबलों को आधुनिक उपकरणों से लैस करने में असफल रहा है. सरकार की नाकामी पर मिलिट्री जर्नलिस्ट मेहदी बख़्तियारी ने हार्डलाइन अख़बार वतन-ए-इमरूज़ में लेख लिखा है. उनका सवाल है कि मिलिट्री आइटम बनाने में सक्षम देश के पास सीमित बख़्तरबंद एमआरएपी गाड़ियां क्यों हैं, जिन्हें ईरान के बॉर्डर गार्ड्स को दिया गया है. उन्होंने ड्रोनों के इस्तेमाल का प्रस्ताव भी दिया है और सीमा पर और सुविधाएं बेहतर करने को कहा है.
वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने हमले की घटना पर बयान जारी करते हुए घायलों के जल्द ठीक होने की दुआ की है. उसका कहना है कि वो ईरान की सरकार और उसकी जनता के साथ खड़ा है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि आतंकवाद क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरा है और इसका द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग सहित सभी तरीकों से मुक़ाबला करने की ज़रूरत है.
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