जानें अपने अधिकार: ऑफिस में हैरेसमेंट या भेदभाव का सामना हो तो क्या करें

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ऑफिस या किसी भी कामकाजी जगह पर हर कर्मचारी को सुरक्षित माहौल, सम्मान और समान अवसर मिलना चाहिए। लेकिन कई बार हकीकत अलग होती है –
कभी माहौल असुरक्षित लगता है, कभी मानसिक दबाव या भेदभाव झेलना पड़ता है, और कई बार मामला यौन उत्पीड़न तक पहुंच जाता है।

अच्छी बात यह है कि ऐसे हालात में कानून आपके साथ है।
भारत सरकार ने POSH एक्ट, 2013 बनाया है, जो हर कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इस कानून के तहत हर कंपनी में Internal Complaints Committee (ICC) होना अनिवार्य है।


वर्कप्लेस हैरेसमेंट क्या है?

कोई भी व्यवहार जो आपको डर, असहजता, अपमान या असुरक्षा महसूस कराए, वह हैरेसमेंट है। यह कई रूपों में हो सकता है:

  • यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment)

  • मानसिक शोषण (Mental Harassment)

  • भेदभाव (Discrimination – लिंग, जाति, धर्म आदि के आधार पर)

  • धमकाना, अपमान करना, गाली देना

  • प्रमोशन या अवसर से वंचित करना


⚖️ कर्मचारियों के कानूनी अधिकार

हर कर्मचारी को अधिकार है:

  • सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल का

  • तय समय पर वेतन का

  • तय घंटे से ज्यादा काम न कराने का

  • छुट्टियों का अधिकार

  • उत्पीड़न या भेदभाव के खिलाफ शिकायत का


शिकायत कहां करें?

  1. कंपनी की ICC में लिखित शिकायत दें

    • घटना की तारीख, समय, जगह और डिटेल जरूर लिखें।

  2. जिला शिकायत समिति (District Committee) – अगर कंपनी में ICC नहीं है।

  3. लेबर कमिश्नर ऑफिस

  4. राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW)

  5. महिला हेल्पलाइन 1091 या पुलिस

  6. सीधे कोर्ट में POSH विशेषज्ञ वकील से मदद लें


कंपनी पर क्या कार्रवाई हो सकती है?

  • ₹50,000 तक जुर्माना

  • कंपनी का लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन रद्द

  • बार-बार नियम तोड़ने पर सख्त कानूनी कार्रवाई

  • जिम्मेदार अफसरों पर केस और पीड़ित को मुआवजा


किसे सुरक्षा मिलती है?

POSH एक्ट के तहत केवल स्थायी कर्मचारी ही नहीं, बल्कि:

  • कॉन्ट्रैक्ट वर्कर

  • इंटर्न

  • फ्रीलांसर

  • पार्ट-टाइम कर्मचारी
    सभी को सुरक्षा का अधिकार है।


अगर आप गवाह हैं तो क्या करें?

  • सीनियर या HR को तुरंत जानकारी दें

  • हैरेसर को सीधे कहें कि उसका व्यवहार गलत है

  • पीड़ित को सपोर्ट करें

  • किसी भी तरह से हैरेसर को बढ़ावा न दें

  • ज़रूरत हो तो सरकारी संस्थाओं या पुलिस से मदद लें


याद रखें:

  • चुप रहना सबसे बड़ी गलती है।

  • सही समय पर सही जगह शिकायत करने से न सिर्फ आप, बल्कि दूसरे भी सुरक्षित रहेंगे।

  • कानून आपके साथ है, बस अपनी आवाज उठाइए।


यह गाइड हर कर्मचारी, खासकर महिलाओं के लिए वर्कप्लेस सेफ्टी का पावर टूलकिट है। इसे सेव करें, शेयर करें और अपने अधिकार जानें।

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