जम्मू-कश्मीर तबाही: मचैल माता और वैष्णो देवी यात्रा में 100+ श्रद्धालुओं की मौत, अब्दुल्ला सरकार-एलजी मनोज सिन्हा आमने-सामने!

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जम्मू-कश्मीर में हालिया प्राकृतिक आपदाओं ने पूरे देश को हिला दिया है। किश्तवाड़ जिले की मचैल माता यात्रा और कटरा की वैष्णो देवी यात्रा के दौरान बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ से 100 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इस त्रासदी के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बीच जवाबदेही को लेकर टकराव तेज हो गया है।


मचैल यात्रा में 60+ मौतें

14 अगस्त को किश्तवाड़ के चिशोटी इलाके में अचानक आई बाढ़ ने मचैल माता मंदिर की ओर जा रहे श्रद्धालुओं को अपनी चपेट में ले लिया।

  • यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है और हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।

  • हादसे में 60 से अधिक लोग मारे गए और कई अब भी लापता हैं।

  • सेना, NDRF और SDRF टीमें राहत-बचाव में जुटी हैं, लेकिन दुर्गम पहाड़ी इलाका रेस्क्यू मिशन को चुनौती दे रहा है।


⚠️ वैष्णो देवी यात्रा पर भी कहर: 35 श्रद्धालु मृत

कटरा से 12 किमी लंबा ट्रैक श्रद्धालुओं के लिए मौत का सफर बन गया। लगातार बारिश और भूस्खलन से मंगलवार को बड़ा हादसा हुआ।

  • 35 लोगों की मौत हो गई, कई गंभीर रूप से घायल।

  • मौसम विभाग की पहले से जारी चेतावनी के बावजूद यात्रा रोकने का फैसला नहीं लिया गया।

  • इसी बात ने राजनीतिक विवाद को हवा दी


सियासी संग्राम: अब्दुल्ला सरकार बनाम एलजी

  • मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इन हादसों को “स्पष्ट प्रशासनिक लापरवाही” बताया।

  • उन्होंने केंद्र सरकार से उच्चस्तरीय जांच समिति बनाने और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।

  • डिप्टी CM सुरिंदर चौधरी ने भी एलजी मनोज सिन्हा को निशाने पर लेते हुए कहा:

    “जब चेतावनी थी तो यात्रा जारी क्यों रही? ये आपराधिक लापरवाही है।”


राज्यपाल कार्यालय की चुप्पी पर उठे सवाल

एलजी मनोज सिन्हा की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

  • इससे पहले वैष्णो देवी यात्रा के दौरान भगदड़ में हुई मौतें भी प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े कर चुकी थीं।

  • अब विपक्ष LG और केंद्र की भूमिका पर जवाब मांग रहा है।


भविष्य की तीर्थ यात्राओं पर रोक का दबाव

विशेषज्ञों का कहना है कि

  • मौसम पूर्वानुमान को नज़रअंदाज़ करना भारी चूक है।

  • अब यह मांग तेज़ हो गई है कि तीर्थ यात्राओं को मौसम और सुरक्षा रिपोर्ट के आधार पर ही अनुमति दी जाए।


Bottom Line:
जम्मू-कश्मीर की यह त्रासदी एक चेतावनी है कि धार्मिक आस्था के साथ सुरक्षा समझौता घातक हो सकता है। सवाल यह है कि क्या इस बार प्रशासन और एलजी जवाबदेही तय करेंगे या फिर हादसे के बाद की राजनीति में ही सब दब जाएगा?

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