हेल्थ अलर्ट: जंक फूड भी ‘नशा’ है, चाहिए सिगरेट जैसी चेतावनी!

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चिप्स, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक – ये सिर्फ स्नैक नहीं, ‘ब्रेन हैक’ हैं!
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की रिसर्च कहती है: अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स (UPFs) शराब, सिगरेट और ड्रग्स की तरह लत लगा सकते हैं।
‍⚕️ डाइटीशियन श्वेता शर्मा के मुताबिक: “जंक फूड में मौजूद फ्लेवरिंग और केमिकल्स दिमाग में डोपामिन बढ़ाते हैं, जिससे इसे बार-बार खाने की तीव्र इच्छा होती है।”


क्यों जंक फूड को ब्रेन ड्रग कहा जा रहा है?

डोपामिन का डोज़: हर पिज्जा बाइट दिमाग को ‘रिवॉर्ड’ सिग्नल भेजता है।
रिवॉर्ड सिस्टम एक्टिवेशन: ठीक वैसे ही जैसे निकोटीन और ड्रग्स करते हैं।
स्ट्रेस ईटिंग का खतरा: भूख के बजाय स्ट्रेस-रिलीफ के लिए खाना लत का संकेत।
ब्रेन इंफ्लेमेशन: सिर्फ 5 दिन में हाई शुगर-फैट फूड दिमाग के ‘हंगर कंट्रोल’ सेंटर को डैमेज कर सकता है।


कैसे पहचानें कि आप जंक फूड के एडिक्ट हैं?

घर का खाना फीका लगे, बाहर का खाना ‘क्रेव’ करें।
बिना भूख के भी स्नैक्स, चिप्स, पिज्जा खाने का मन करे।
हर मूड में फास्ट फूड तलाशें – खुशी, ग़ुस्सा, तनाव!


️ 7 पावर टिप्स: जंक फूड की लत से कैसे बचें?

1️⃣ स्मार्ट स्नैकिंग: घर में फल, नट्स, ग्रीन स्नैक्स स्टॉक करें।
2️⃣ प्लानिंग इज़ की: बाहर जाते वक्त हेल्दी ऑप्शन साथ रखें।
3️⃣ रूल ऑफ वन: हफ्ते में सिर्फ 1 दिन चीट मील रखें।
4️⃣ प्लेट साइज़ कम करें: छोटी प्लेट, कम पोर्शन, दिमाग को फुलनेस का मैसेज।
5️⃣ माइंडफुल ईटिंग: टीवी देखते हुए या मोबाइल पर स्क्रॉल करते हुए खाने से बचें।
6️⃣ हाइड्रेशन हैक्स: कई बार प्यास को भूख समझ लिया जाता है।
7️⃣ किड्स ट्रेनिंग: बच्चों को रंगीन हेल्दी फूड ऑफर करें, जंक को ‘ट्रीट’ बनाएं, न कि रोज़ाना का खाना।


की मेसेज:

जंक फूड पर भी सिगरेट जैसी चेतावनी होनी चाहिए!
“अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड सिर्फ पेट नहीं भरता, दिमाग को भी रिवायर करता है। सीमित मात्रा में खाइए, वरना ये स्लो पॉइज़न बनकर लाइफस्टाइल डिज़ीज़ की फैक्ट्री खोल देगा।” – डाइटीशियन श्वेता शर्मा

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