नारायणपुर के जंगलों में नक्सलियों पर तगड़ा प्रहार: हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद, माओवादी भाग खड़े हुए

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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के घने अबूझमाड़ जंगलों में चल रहे ‘माड़ बचाओ’ अभियान के तहत सुरक्षा बलों ने शुक्रवार को नक्सलियों को बड़ा झटका दिया। एसटीएफ, डीआरजी और बीएसएफ की संयुक्त टीमों ने नक्सलियों के ठिकानों पर जबरदस्त सर्चिंग अभियान चलाया। इस दौरान हुई मुठभेड़ में गोलियों की तड़तड़ाहट से दहशत में आए माओवादी अपना सामान और हथियार छोड़कर भाग निकले।

सर्च ऑपरेशन में एलएमजी, एके-47 (त्रिची), इंसास, एसएलआर, स्टेनगन जैसी आधुनिक रायफलें, बीजीएल लांचर, सैकड़ों राउंड गोला-बारूद, इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर, तीर बम, वायरिंग सामग्री और नक्सल साहित्य सहित 300 से ज्यादा वस्तुएं बरामद की गईं। सुरक्षा बलों का कहना है कि यह कार्रवाई नक्सलियों के लिए रणनीतिक और मानसिक रूप से करारा झटका है और अब माओवादी किसी भी कोने में सुरक्षित नहीं हैं।


ऑपरेशन की पृष्ठभूमि

24 अगस्त को सुरक्षा एजेंसियों को इलाके में माओवादी गतिविधियों की खुफिया सूचना मिली थी। इसके बाद टीमों ने जंगलों में सर्चिंग अभियान शुरू किया। मुठभेड़ के दौरान सीनियर कैडर माओवादी भी घबराकर अपना सारा विस्फोटक और दैनिक उपयोग का सामान छोड़कर भाग निकले।


बरामद हथियार और सामग्री की सूची (संक्षेप में):

  • 7.62 मिमी LMG और मैग्जीन

  • 51 मिमी मोर्टार

  • त्रिची असॉल्ट राइफल, एसएलआर और इंसास रायफल

  • स्टेनगन, पिस्टल, देशी कट्टे

  • बीजीएल लांचर (8 नग), बीजीएल सेल बड़े, मध्यम और छोटे आकार में

  • हैण्ड ग्रेनेड, तीर बम, कार्डेक्स वायर और डेटोनेटर

  • जीपीएस डिवाइस, रिमोट स्विच, नक्सल साहित्य

  • भरमार बंदूकें और अन्य विस्फोटक सामग्री


पुलिस अधिकारियों की प्रतिक्रिया

एसपी नारायणपुर रोबिनसन गुरिया ने कहा,

“अबूझमाड़ के निवासियों को माओवादी विचारधारा से बचाना और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ना हमारा संकल्प है। हम नक्सलियों से अपील करते हैं कि वे आत्मसमर्पण कर समाज का हिस्सा बनें। अब समय आ गया है कि माड़ फिर से अपने मूलवासियों को मिले, जहां वे बिना डर के जीवन जी सकें।”

आईजी सुन्दरराज पी. ने बताया,

“साल 2025 में सुरक्षा बलों ने माओवादी नेतृत्व को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। अब उनके पास हिंसा छोड़ आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।”


संदेश स्पष्ट: बस्तर नक्सल मुक्त होने की राह पर

यह कार्रवाई साफ संकेत देती है कि नक्सलियों के सुरक्षित ठिकाने सिमट रहे हैं। सुरक्षा बलों की कड़ी रणनीति और लगातार चल रहे ऑपरेशन के कारण माओवादियों की पकड़ कमजोर हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बस्तर क्षेत्र को नक्सलमुक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

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