अमेरिका की अपील कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया है। अदालत का कहना है कि ट्रम्प ने अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) का गलत इस्तेमाल कर शुल्क लगाए, जबकि यह शक्ति संसद के पास है। हालांकि, फैसले को अक्टूबर तक रोक दिया गया है ताकि ट्रम्प सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें।
कोर्ट का रुख: राष्ट्रपति को असीमित शक्ति नहीं
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अदालत ने स्पष्ट किया कि 1977 में बनाए गए IEEPA कानून का मकसद राष्ट्रपति को बिना सीमा के टैरिफ लगाने का अधिकार देना नहीं था।
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7-4 के बहुमत से आए फैसले में कहा गया कि ट्रम्प अधिकतम 150 दिनों तक 15% टैरिफ लगा सकते हैं, वह भी ठोस कारणों के साथ।
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कोर्ट के मुताबिक, कानून में ‘टैरिफ’ शब्द का कहीं उल्लेख नहीं है, और जब कांग्रेस राष्ट्रपति को ऐसा अधिकार देना चाहती है, तो इसे स्पष्ट रूप से लिखा जाता है।
ट्रम्प का दावा: टैरिफ हटे तो अमेरिका को नुकसान
ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अगर ये टैरिफ हटाए गए तो अमेरिका को आर्थिक तबाही का सामना करना पड़ सकता है।
उनकी सरकार का तर्क है कि टैरिफ रद्द करने पर 159 अरब डॉलर (करीब ₹13 लाख करोड़) वापस लौटाने पड़ेंगे, जिससे अमेरिकी खजाने को बड़ा झटका लगेगा।
भारत पर असर: 50% टैरिफ से एक्सपोर्ट पर खतरा
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ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, जो 27 अगस्त से लागू हुआ।
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यह भारत के ₹5.4 लाख करोड़ के निर्यात को प्रभावित कर सकता है।
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कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर, सी-फूड जैसे उत्पाद अमेरिका में महंगे होंगे, जिससे उनकी मांग में 70% तक गिरावट आ सकती है।
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चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे देशों को अमेरिकी बाजार में फायदा मिलेगा।
रूसी तेल खरीद पर भी टैरिफ की सजा
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6 अगस्त को ट्रम्प ने रूस से तेल खरीदने पर दंडात्मक टैरिफ लगाया।
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भारत पर 7 अगस्त से 25% टैरिफ भी लागू कर दिया गया।
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2023 से अब तक भारत रूस से प्रतिदिन औसतन 17.8 लाख बैरल तेल खरीद रहा है, जबकि युद्ध से पहले यह केवल 0.2% था।
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भारत पिछले दो वर्षों से हर साल 130 अरब डॉलर (₹11.33 लाख करोड़) से अधिक का रूसी तेल आयात कर रहा है।