भारतीय शेयर बाजार में इस हफ्ते बड़ी गिरावट देखने को मिली। देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 का मार्केट कैपिटलाइजेशन (मार्केट वैल्यू) कुल ₹2.25 लाख करोड़ तक कम हो गया। सबसे ज्यादा झटका रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) को लगा, जिसकी वैल्यू में ₹70,707 करोड़ की कमी आई।
अब RIL का मार्केट कैप ₹18.36 लाख करोड़ रह गया है। इसके अलावा:
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HDFC बैंक की वैल्यू ₹47,483 करोड़ घटी
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ICICI बैंक का मार्केट कैप ₹27,135 करोड़ गिरा
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भारती एयरटेल को ₹24,947 करोड़ का नुकसान हुआ
TCS और HUL को मिला फायदा
गिरावट के बीच टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) जैसी दिग्गज कंपनियों ने बढ़त दर्ज की।
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TCS का मार्केट कैप ₹11,126 करोड़ बढ़कर ₹11.16 लाख करोड़ हो गया।
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HUL की वैल्यू ₹7,319 करोड़ बढ़कर ₹6.25 लाख करोड़ पहुंच गई।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के सभी जारी और निवेशकों के पास मौजूद शेयरों की कुल वैल्यू होती है।
फॉर्मूला:मार्केट कैप = शेयर प्राइस × कुल जारी शेयरों की संख्या
उदाहरण:
अगर किसी कंपनी के 1 करोड़ शेयर मार्केट में हैं और एक शेयर की कीमत ₹20 है, तो कुल मार्केट कैप होगा:1 करोड़ × ₹20 = ₹20 करोड़
क्यों बढ़ता-घटता है मार्केट कैप?
वैल्यू बढ़ने के कारण | वैल्यू घटने के कारण |
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शेयर प्राइस में बढ़ोतरी | शेयर प्राइस में गिरावट |
मजबूत वित्तीय प्रदर्शन | कमजोर नतीजे |
पॉजिटिव न्यूज/इवेंट | नेगेटिव न्यूज/इवेंट |
अच्छा मार्केट सेंटिमेंट | अर्थव्यवस्था या बाजार में गिरावट |
हाई प्राइस पर नए शेयर | बायबैक या डीलिस्टिंग |
निवेशकों और कंपनियों पर असर
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कंपनी के लिए:
बड़ा मार्केट कैप कंपनी को लोन लेने, निवेश जुटाने और अधिग्रहण (M&A) में फायदा देता है। -
निवेशकों के लिए:
मार्केट कैप बढ़ने का मतलब उनके पोर्टफोलियो की वैल्यू बढ़ना, जबकि गिरावट से सीधा नुकसान होता है।
उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से भी ज्यादा हो जाता है, तो निवेशकों को सीधा फायदा होगा और कंपनी को निवेश के लिए ज्यादा फंड मिलेगा। वहीं, गिरावट का मतलब वैल्यू का नुकसान है।
संक्षेप में:
अमेरिकी टैरिफ का असर भारतीय दिग्गज कंपनियों के शेयरों पर साफ दिख रहा है। जहां RIL और HDFC जैसी दिग्गज कंपनियों में भारी बिकवाली हुई, वहीं TCS और HUL जैसी कंपनियों ने इस दौर में भी अपनी वैल्यू बढ़ाई।