उपराष्ट्रपति पद प्रत्याशी रेड्डी के खिलाफ उतरे नक्सल पीड़ित आदिवासी:बस्तर में नक्सली बढ़ने का कारण पीड़ित मानते है बी. सुदर्शन रेड्डी को, सांसदों को पत्र लिखकर समर्थन ना देने मांग रखी

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उपराष्ट्रपति पद की दावेदारी करने वाले INDIA गठबंधन के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी से छत्तीसगढ़ के आदिवासी नाराज है। बस्तर के नक्सल पीड़ित आदिवासियों ने प्रदेश और देश के सांसदों को पत्र लिखकर उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को समर्थन ना देने की अपील की है।

मीडिया से चर्चा के दौरान बस्तर शांति समिति के बैनर तले पीड़ितों ने उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी का विरोध करते हुए सांसदों से उन्हें समर्थन न देने की अपील की। उन्होंने आम लोगों से भी इस अपील का समर्थन करने का आग्रह किया।

बी. सुदर्शन रेड्डी ने ‘सलवा जुडूम’ आंदोलन में प्रतिबंध लगाया

नक्सल पीड़ितों का कहना है कि बी. सुदर्शन रेड्डी ने ‘सलवा जुडूम’ आंदोलन पर प्रतिबंध लगाकर बस्तर में माओवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया। उन्होंने बताया कि सलवा जुडूम के मजबूत होने से नक्सली संगठन कमजोर होकर समाप्त होने की कगार पर था। लेकिन दिल्ली के कुछ नक्सल समर्थकों के दबाव में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। पीड़ितों ने कहा कि इस फैसले से पहले उनसे कभी राय नहीं ली गई और उनके हालात को ध्यान में नहीं रखा गया।

सियाराम रामटेके, जो खुद नक्सली हमले का शिकार हैं, ने बताया कि यदि यह प्रतिबंध नहीं लगाया गया होता तो शायद माओवादियों के हमले में वे घायल नहीं होते। आज वे दिव्यांग जीवन जी रहे हैं और सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी से अत्यंत आहत हैं। केदारनाथ कश्यप ने कहा कि सलवा जुडूम के बंद होने के बाद माओवादी उनके भाई की हत्या कर चुके हैं। यदि 2011 में यह प्रतिबंध नहीं होता तो 2014 तक उनका क्षेत्र नक्सलमुक्त हो जाता और यह हादसा नहीं होता।

माओवदी एम्बुश में पति मारे गए

शहीद मोहन उइके की पत्नी ने आंसू भरी आवाज में बताया कि उनके पति को माओवादी एम्बुश में मार गए और उस समय उनकी बच्ची मात्र तीन महीने की थी। महादेव दूधु, जो चितंगावरम हमले के पीड़ित हैं, ने अपनी टूटी-फूटी हिंदी और गोंडी में बताया कि दंतेवाड़ा से जा रही बस पर हमला हुआ, जिसमें 32 लोग मारे गए और उन्होंने खुद अपना एक पैर खो दिया।

बस्तर की शांत भूमि को निर्णय ने बनाया नरक

बस्तर शांति समिति के जयराम ने कहा कि देश के सांसद ऐसे किसी व्यक्ति का समर्थन न करें जिसने उनकी जिंदगी और बस्तर की शांत भूमि को नरक बना दिया। समिति के मंगऊ राम कावड़े ने बताया कि पीड़ितों ने सभी सांसदों को पत्र लिखकर सुदर्शन रेड्डी का समर्थन न करने की अपील की है। बस्तर में हजारों परिवार सलवा जुडूम पर प्रतिबंध के कारण नक्सली आतंक झेल चुके हैं और आज वे इस उम्मीदवारी से आहत हैं।

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