मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे को बॉम्बे हाईकोर्ट से कड़ी चेतावनी मिली है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने मुंबई के आजाद मैदान में जारी उनके आमरण अनशन को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि जरांगे और प्रदर्शनकारियों को 3 बजे तक मैदान खाली करना होगा, वरना उन पर अदालत की अवमानना और कठोर कार्रवाई होगी।
अदालत की कड़ी टिप्पणियां
एक्टिंग चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस आरती साठे की बेंच ने साफ कहा:
“आप किसी हाईकोर्ट जज को पैदल चलकर अदालत पहुंचने पर मजबूर नहीं कर सकते, सिर्फ इसलिए क्योंकि आपके प्रदर्शनकारी सड़क पर नाच रहे हैं। राज्य सरकार क्या कर रही थी? हमें जवाब चाहिए।”
कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों की भीड़ को लेकर भी नाराजगी जताई और कहा कि यह कानून-व्यवस्था और आम जनता की सुविधा से खिलवाड़ है।
जरांगे की भूख हड़ताल का 5वां दिन
मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रतीक बन चुके मनोज जरांगे 29 अगस्त से OBC श्रेणी में 10% आरक्षण की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं। सोमवार से उन्होंने पानी पीना भी बंद कर दिया है।
कोर्ट रूम का माहौल
सुनवाई के दौरान कोर्ट और आंदोलन पक्ष के वकील श्रीकांत मानेशिंदे के बीच सवाल-जवाब भी हुए:
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ACJ: “प्रदर्शन में 5 हजार से ज्यादा लोग न आएं, इसके लिए आपने क्या कदम उठाए?”
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मानेशिंदे: “मिलॉर्ड, आगे से ध्यान रखेंगे।”
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ACJ: “हमें अभी जवाब चाहिए। जब 1 लाख लोग मुंबई पहुंचे, तब क्या किया?”
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मानेशिंदे: “गाड़ियां निकल चुकी हैं, लोग लौट गए। जरांगे जी ने समय बढ़ाने का आवेदन किया है।”
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ACJ: “सिर्फ आवेदन डालने का मतलब ये नहीं कि आप वहां डटे रहेंगे। 3 बजे तक मैदान खाली होना चाहिए, जरूरत पड़ी तो हम खुद जाकर देखेंगे।”
आंदोलन की पृष्ठभूमि
मराठा समुदाय लंबे समय से शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। जरांगे का यह आंदोलन महाराष्ट्र की राजनीति का अहम मुद्दा बन चुका है। मुंबई में इस प्रदर्शन में हजारों लोग शामिल हुए, जिससे यातायात और सुरक्षा व्यवस्था पर भारी असर पड़ा।
निचोड़:
हाईकोर्ट ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि कानून व्यवस्था के खिलाफ किसी भी आंदोलन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जरांगे के अनशन को अब और कड़े कानूनी दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जबकि महाराष्ट्र सरकार पर भी इससे निपटने का दबाव बढ़ गया है।