K Kavitha News: निलंबन के बाद K. कविता का BRS से इस्तीफा, चचेरे भाइयों पर साजिश के आरोप से मचा सियासी हंगामा

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तेलंगाना की राजनीति में हलचल मचाते हुए K. कविता ने पार्टी से निलंबन के 24 घंटे के भीतर ही भारत राष्ट्र समिति (BRS) और अपने विधान परिषद (MLC) पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री K. चंद्रशेखर राव (KCR) की बेटी कविता ने इस्तीफे के साथ ही परिवार के अंदरूनी मतभेदों को उजागर किया और चौंकाने वाले आरोप लगाए।


निलंबन के अगले दिन दिया इस्तीफा

मंगलवार, 2 सितंबर को कविता को अनुशासनहीनता और पार्टी-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। इसके सिर्फ एक दिन बाद बुधवार को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया।


KTR को चेताया, चचेरे भाइयों पर गंभीर आरोप

कविता ने कहा कि उन्होंने अपने भाई और पार्टी के वर्किंग प्रेसिडेंट K. टी. रामा राव (KTR) को कई बार आगाह किया था कि चचेरे भाई टी. हरीश राव और संतोष राव पार्टी और परिवार के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं। उनका दावा है कि हरीश राव ने KCR और KTR को चुनाव में हराने के लिए अभियान को फंड किया और CBI की जांच भी इन्हीं की वजह से KCR तक पहुंची है।


“खून का रिश्ता पद से बड़ा है”

कविता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“KCR Garu और KTR Garu मेरा परिवार हैं। हमारा रिश्ता खून से है, यह किसी पद या निलंबन से खत्म नहीं हो सकता। लेकिन कुछ लोग अपने फायदे के लिए हमारे परिवार को तोड़ने पर तुले हैं।”

कविता ने चेतावनी दी कि अगर KTR ने चचेरे भाइयों पर भरोसा करना जारी रखा, तो इससे न केवल परिवार बल्कि पार्टी का भी नुकसान होगा।


KTR पर भी उठाए सवाल

कविता ने अपने भाई KTR से नाराजगी जताई कि उन्होंने पार्टी में चल रही साजिशों की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया।
“मैंने उनसे सिर्फ बहन की तरह नहीं, बल्कि पार्टी की MLC के तौर पर बात की। मैंने बताया कि मेरे खिलाफ झूठा प्रचार किया जा रहा है। लेकिन उन्होंने न कोई कार्रवाई की और न ही इस पर बात की।”


BRS में बढ़ी मुश्किलें, कविता के भविष्य को लेकर अटकलें

कविता के इस्तीफे ने पहले से ही गुटबाजी से जूझ रही BRS के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। पार्टी चुनावी हार से उबरने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब परिवार के भीतर खुलेआम आरोप-प्रत्यारोप ने सियासी संकट गहरा दिया है।

राजनीतिक हलकों में यह अटकलें तेज हो गई हैं कि कविता किसी नई राजनीतिक राह तलाश सकती हैं या स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीति की शुरुआत कर सकती हैं।

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