अनिल अंबानी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के बाद अब बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी उन्हें फ्रॉड घोषित कर दिया है।
आरोप है कि उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) पर ₹1656 करोड़ का कर्ज बकाया है।
कैसे हुआ ये पूरा मामला?
बैंक ऑफ बड़ौदा ने RCOM को कुल ₹2462.50 करोड़ का लोन और लाइन ऑफ क्रेडिट दिया था।
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लेकिन 5 जून 2017 से खाता NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) हो चुका है।
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28 अगस्त तक ₹1656.07 करोड़ की राशि अब भी बकाया है।
यानी सालों से यह कर्ज नहीं चुकाया गया।
लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) का मतलब है ऐसा लोन जिसे आप जरूरत पड़ने पर निकाल सकते हैं और किस्तों में चुका सकते हैं। लेकिन RCOM ने इसका भी पालन नहीं किया।
ED और CBI की कार्रवाइयाँ
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24 जुलाई: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों और 50 कंपनियों पर छापेमारी की।
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23 अगस्त: CBI ने अनिल अंबानी के घर पर रेड की और SBI से जुड़े ₹2929 करोड़ के फ्रॉड केस में मामला दर्ज किया।
RCOM की दलील
रिलायंस कम्युनिकेशंस का कहना है कि –
“यह मामला 12 साल पुराना है। अनिल अंबानी 2006 से 2019 तक सिर्फ नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहे, कंपनी के डेली ऑपरेशंस से उनका कोई लेना-देना नहीं था। आरोप बेबुनियाद हैं और हम कोर्ट का सहारा लेंगे।”
वहीं, रिलायंस पावर ने कहा कि इस कार्रवाई का उनकी कंपनी के ट्रेड और फाइनेंशियल परफॉर्मेंस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कानून क्या कहता है?
बैंकिंग कानूनों के मुताबिक, जब किसी खाते को फ्रॉड घोषित किया जाता है तो –
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केस प्रवर्तन एजेंसियों (ED/CBI) को सौंप दिया जाता है।
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5 साल तक कोई नया फंड या क्रेडिट नहीं मिलता।
ध्यान रहे कि RCOM पर मार्च 2025 तक ₹40,400 करोड़ का कर्ज है और कंपनी 2019 से दिवालिया प्रक्रिया में है। SBI की अगुवाई वाली कमेटी ने 2020 में रिज़ोल्यूशन प्लान पास किया था, लेकिन मामला कोर्ट में अटका हुआ है।
अनिल अंबानी पर व्यक्तिगत दिवालिया केस
बैंक ऑफ बड़ौदा और SBI की कार्रवाई के बाद अब अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है, जो मुंबई NCLT में पेंडिंग है।
निष्कर्ष
अनिल अंबानी को अब तक तीन बड़े बैंकों (SBI, BOI और BoB) ने फ्रॉड घोषित किया है।
उन पर लगातार ED और CBI की छापेमारी और केस दर्ज हो रहे हैं।
RCOM और रिलायंस ग्रुप का कुल कर्ज 40 हजार करोड़ से ज्यादा है, जो भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े डिफॉल्ट्स में गिना जा रहा है।