शराब घोटाला: भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य की रिमांड 15 सितंबर तक बढ़ी, 16.70 करोड़ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की रिमांड 15 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) 15 सितंबर को चालान पेश कर सकती है। शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनकी पेशी हुई।

चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं। पिछली सुनवाई के दौरान पूर्व CM भूपेश बघेल भी कोर्ट पहुंचे थे।


चैतन्य बघेल पर आरोप

ED का दावा है कि शराब घोटाले से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले। इन पैसों को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश कर ब्लैक मनी को वाइट किया गया। इसके अलावा सिंडिकेट के जरिए 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग की गई।


ED रिमांड के बाद पेशी

रिमांड खत्म होने के बाद चैतन्य बघेल को आज रायपुर स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा।


चैतन्य के प्रोजेक्ट में हेराफेरी

ED ने पाया कि बघेल डेवलपर्स के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट में घोटाले का पैसा लगाया गया।

  • वास्तविक खर्च: 13-15 करोड़

  • रिकॉर्ड में दिखाया गया: 7.14 करोड़

  • कैश पेमेंट: 4.2 करोड़, जो रिकॉर्ड में नहीं था


फर्जी फ्लैट खरीद के जरिए पैसा सफेद करना

  • त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट की खरीद के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए।

  • फ्लैट कर्मचारियों के नाम पर खरीदे गए, लेकिन पेमेंट ढिल्लो ने किया

  • यह लेन-देन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन में किया गया।

ED के अनुसार, यह योजना ब्लैक मनी को चैतन्य बघेल तक पहुंचाने के लिए बनाई गई थी।


5 करोड़ कैश के बदले फर्जी ट्रांसफर

  • भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य को 5 करोड़ रुपए उधार दिए।

  • बाद में उसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे, कीमत 80 लाख।

  • ED का दावा: यह पैसा शराब घोटाले से आया और बैंक के माध्यम से ट्रांसफर किया गया।


फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल

चैतन्य बघेल ने पैसे को छिपाने के लिए फ्रंट कंपनियों और अन्य लोगों का इस्तेमाल किया।
उदाहरण: ढिल्लन सिटी मॉल → ढिल्लन ड्रिंक्स → कर्मचारियों → बघेल डेवलपर्स।

ED के अनुसार, चैतन्य बघेल के पास 16.70 करोड़ के अवैध पैसे आए।


छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का ब्यौरा

  • ED ने ACB में FIR दर्ज कराई।

  • घोटाले की रकम: 2000 करोड़ रुपए से अधिक

  • आरोपी: राजनेता, आबकारी विभाग के अधिकारी, कारोबारी।

  • तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी MD AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट द्वारा घोटाला किया गया।

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