7 सितंबर 2025 की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत, अमेरिका और रूस को लेकर बड़ा विवाद सामने आया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल आयात करने को लेकर 50% टैरिफ ठोक दिया। इस कदम पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने खुलकर समर्थन जताया और इसे “सही फैसला” बताया।
जेलेंस्की का बयान
ABC न्यूज से बातचीत में जेलेंस्की ने कहा –
“जो भी देश रूस से व्यापार जारी रख रहे हैं, उन पर टैरिफ लगाना बिल्कुल सही कदम है। यह रूस पर दबाव बनाने का प्रभावी तरीका है।”
उनसे यह भी पूछा गया कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात से क्या पश्चिमी देशों के प्रतिबंध बेअसर हो रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में और भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
ट्रंप का भारत पर वार
अमेरिका ने भारत पर दो चरणों में कुल 50% टैरिफ लगाया –
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पहले 25% शुल्क ट्रंप के कार्यकाल में लगाया गया।
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इसके बाद रूस से तेल खरीदने के चलते अतिरिक्त 25% “पेनल्टी” भी जोड़ दी गई।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की तस्वीर साझा करते हुए लिखा –
“लगता है हमने भारत और रूस को सबसे अंधेरे चीन के हवाले कर दिया है।”
हालांकि बाद में उन्होंने मोदी को “अच्छा दोस्त” और भारत को “मजबूत साझेदार” भी बताया।
SCO समिट: तीन महाशक्तियां एक साथ
चीन के तियानजिन में हाल ही में हुए SCO सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ नजर आए। तीनों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। ऐसे समय में जब अमेरिका अपने साझेदारों पर कड़े टैरिफ लगा रहा है और दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बंटी हुई है, यह मुलाकात खास मायने रखती है।
जेलेंस्की की नाराजगी
जेलेंस्की ने पिछले महीने अलास्का में हुई ट्रंप-पुतिन मुलाकात पर नाराजगी जताई। उनका कहना था –
“पुतिन सिर्फ यह दिखाना चाहते थे कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति से मिल रहे हैं। ट्रंप ने उन्हें वही दिया जो वे चाहते थे। यूक्रेन को उस मंच से दूर रखना हमारे लिए निराशाजनक है।”
पुतिन के निमंत्रण पर साफ इंकार
जेलेंस्की ने कहा –
“मैं मास्को नहीं जा सकता जब मेरा देश मिसाइलों के निशाने पर है। अगर पुतिन को बात करनी है, तो वे कीव आ सकते हैं।”
कुल मिलाकर, ट्रंप की सख्ती और जेलेंस्की का समर्थन, भारत को भू-राजनीतिक दबाव में लाने की कोशिश माना जा रहा है। लेकिन भारत ने अभी तक इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।