उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस-वोटिंग पर बवाल: TMC ने BJP पर सांसद खरीदने का आरोप, भाजपा बोली- I.N.D.I.A. गठबंधन में फूट

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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बाद क्रॉस-वोटिंग विवाद गरमा गया है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भाजपा पर विपक्षी सांसदों को खरीदने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा ने दावा किया कि यह विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के अंदर की फूट का नतीजा है।


TMC का आरोप: 15-20 करोड़ में खरीदे सांसद

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और TMC सांसद ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा –
“मुझे जानकारी मिली है कि भाजपा ने विपक्ष के हर सांसद को खरीदने के लिए 15 से 20 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यही वजह है कि NDA प्रत्याशी को अपेक्षा से अधिक वोट मिले।”


भाजपा का पलटवार: विपक्षी सांसदों ने सुनी ‘अंतरात्मा की आवाज’

वहीं, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने तंज कसते हुए कहा –
“हम विपक्षी गठबंधन के उन सांसदों का आभार जताते हैं जिन्होंने ‘अंतरात्मा की आवाज’ पर वोट दिया और NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को समर्थन दिया। यह I.N.D.I.A. गठबंधन की अंदरूनी कमजोरी को दिखाता है।”


चुनाव नतीजे क्या कहते हैं?

मंगलवार को हुए मतदान में 788 में से 767 सांसदों (98.2%) ने वोट डाला।

  • NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को – 452 वोट

  • I.N.D.I.A. उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को – 300 वोट

  • 15 वोट अमान्य घोषित हुए।

राधाकृष्णन ने रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया।


क्रॉस-वोटिंग का गणित

  • NDA के पास चुनाव से पहले 427 सांसदों का समर्थन था।

  • इसमें YSR कांग्रेस के 11 सांसदों ने भी NDA को समर्थन दिया। कुल आंकड़ा – 438 वोट

  • लेकिन नतीजों में राधाकृष्णन को मिले 452 वोट

  • यानी विपक्ष के कम से कम 14 सांसदों ने NDA के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की।

भाजपा का दावा है कि विपक्षी दलों के करीब 15 सांसदों ने NDA को वोट दिया या अमान्य वोट डाले।


विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया

  • मनीष तिवारी (कांग्रेस):
    “अगर क्रॉस-वोटिंग हुई है तो यह बेहद गंभीर मामला है। INDIA गठबंधन के सभी दलों को मिलकर जांच करनी चाहिए।”

  • तेजस्वी यादव (RJD):
    “हमारी तरफ से कोई क्रॉस-वोटिंग नहीं हुई। RJD के सभी 9 सांसदों ने INDIA गठबंधन को वोट दिया।”

  • सुप्रिया सुले (NCP):
    “अगर वोटिंग गुप्त थी, तो भाजपा को कैसे पता चला कि किसने किसे वोट दिया?”

  • अरविंद सावंत (शिवसेना – उद्धव गुट):
    “जिन सांसदों ने वोट अमान्य डाले, क्या वे पढ़े-लिखे हैं या मूर्ख? भाजपा ने ब्लैकमेलिंग और एजेंसियों के दम पर विश्वासघात कराया है।”


गुप्त मतदान से बढ़ी सियासी सरगर्मी

उपराष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है और पार्टी व्हिप लागू नहीं होता। ऐसे में किसी को नहीं पता चलता कि किस सांसद ने किसे वोट दिया। यही वजह है कि विपक्षी खेमे में यह मुद्दा और बड़ा हो गया है।

बिहार और तमिलनाडु जैसे राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों से पहले विपक्षी दलों में संभावित दरार और भाजपा के आरोप-प्रत्यारोप ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है।


कुल मिलाकर, उपराष्ट्रपति चुनाव का नतीजा सिर्फ एक संवैधानिक पद की जीत-हार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की एकजुटता और विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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