वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम के बीच आज एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय बैठक होने जा रही है। यह मुलाकात केवल कूटनीतिक चर्चा तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों देशों के सदियों पुराने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को भी मजबूती देने का संकेत है। मॉरीशस का कोई प्रधानमंत्री पहली बार वाराणसी में पीएम मोदी से मिल रहा है, जो दोनों देशों के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाता है।
बैठक का मुख्य एजेंडा
बैठक में मुख्य रूप से विकास साझेदारी और क्षमता निर्माण पर ध्यान दिया जाएगा। दोनों नेता भारत और मॉरीशस के बीच सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों की समीक्षा करेंगे।
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शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना।
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वैज्ञानिक अनुसंधान और नई तकनीकों में साझा पहल करना।
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ऊर्जा सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास में साझेदारी।
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भारत के डिजिटल प्लेटफॉर्म को मॉरीशस में लागू करने पर विचार।
यह शिखर बैठक मार्च 2025 में पीएम मोदी की मॉरीशस यात्रा के दौरान तय की गई ‘उन्नत रणनीतिक साझेदारी’ को आगे बढ़ाने का अवसर भी है। उस समय दोनों देशों ने आपसी संबंधों को नए स्तर पर ले जाने का संकल्प लिया था।
मॉरीशस का हिंद महासागर में महत्व
भारत मॉरीशस को हिंद महासागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण समुद्री साझेदार और भरोसेमंद पड़ोसी मानता है। मॉरीशस भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और ‘सागर विजन’ में अहम भूमिका निभाता है। यह मुलाकात हिंद महासागर में शांति और स्थिरता बनाए रखने, सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करने की साझा प्राथमिकताओं को और मजबूती देगी।
दोनों देश विकासशील देशों की आवाज को मजबूती देने और वैश्विक न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाने के लिए भी सहयोग कर रहे हैं।