अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07%: खाने-पीने की चीजों ने बढ़ाया बोझ, जुलाई में 1.61% थी

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अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) थोड़ी तेज हुई है। सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यह जुलाई के 1.61% से बढ़कर 2.07% पर पहुंच गई। मुख्य वजह खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में इजाफा रही।

खाने-पीने की चीजों में बढ़ोतरी का असर

महंगाई की टोकरी (Inflation Basket) में करीब 50% हिस्सेदारी फूड आइटम्स की होती है। जुलाई में जहां खाद्य महंगाई -1.76% थी, वहीं अगस्त में यह बढ़कर -0.69% तक पहुंच गई। इसका सीधा असर कुल खुदरा महंगाई पर पड़ा।

  • ग्रामीण महंगाई दर: जुलाई के 1.18% से बढ़कर अगस्त में 1.69%

  • शहरी महंगाई दर: जुलाई के 2.10% से बढ़कर अगस्त में 2.47%

पिछले महीनों का रुझान (FY 2025-26)

  • अप्रैल – 3.16%

  • मई – 2.82%

  • जून – 2.10%

  • जुलाई – 1.61%

  • अगस्त – 2.07%

यानी अप्रैल से लगातार गिरती महंगाई जुलाई में सबसे नीचे गई थी, लेकिन अगस्त में इसमें हल्की तेजी लौटी।

RBI का लक्ष्य और अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का टारगेट महंगाई को 4% (±2%) की सीमा में रखना है। अगस्त में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया था।

महंगाई क्यों घटती-बढ़ती है?

  • अगर लोगों की आय और खर्च करने की क्षमता बढ़ती है तो वे ज्यादा सामान खरीदते हैं। डिमांड बढ़ने पर जब सप्लाई उतनी नहीं होती, तो दाम ऊपर चले जाते हैं।

  • इसके उलट, अगर मांग घट जाए और सामान की आपूर्ति ज्यादा हो, तो महंगाई घटने लगती है।

  • सरल भाषा में कहें तो “पैसों का अधिक प्रवाह या वस्तुओं की कमी = महंगाई बढ़ना, जबकि मांग कम होना या आपूर्ति अधिक होना = महंगाई घटना।”

CPI से तय होती है रिटेल महंगाई

खुदरा महंगाई को मापने के लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) का इस्तेमाल किया जाता है। CPI यह दिखाता है कि आम उपभोक्ता को रोजमर्रा के सामान और सेवाओं के लिए औसतन कितना दाम चुकाना पड़ रहा है।

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