रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले की जांच में बड़ा खुलासा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की भूमिका को बेहद अहम बताया है। एजेंसी ने कोर्ट में दाखिल चालान में आरोप लगाया कि चैतन्य न केवल सिंडिकेट के प्रमुख हैंडलर थे बल्कि उन्होंने करीब 1000 करोड़ रुपए की अवैध राशि का प्रबंधन भी खुद किया।
ईडी के अनुसार, चैतन्य की भूमिका केवल नाममात्र की नहीं बल्कि निर्णायक थी। मनी कलेक्शन से लेकर रकम के चैनलाइजेशन और वितरण तक के सभी बड़े फैसले उनके निर्देश पर होते थे। मुख्यमंत्री का बेटा होने के नाते चैतन्य को सिंडिकेट का नियंत्रक माना गया।
लक्ष्मी नारायण बंसल का बयान
चालान में कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल के बयान का हवाला दिया गया है, जिन्होंने कहा कि उन्होंने चैतन्य के साथ मिलकर घोटाले से प्राप्त नकदी को मैनेज किया। बंसल के मुताबिक, चैतन्य के कहने पर 80 से 100 करोड़ रुपए तत्कालीन कांग्रेस कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल और घोटाले में आरोपी केके श्रीवास्तव को पहुंचाए गए। इसके अलावा 2019 से 2022 के बीच कई किस्तों में करोड़ों रुपए की नकदी का लेन-देन हुआ।
रियल एस्टेट में भारी निवेश
ईडी का दावा है कि चैतन्य ने अवैध कमाई का इस्तेमाल संपत्ति खड़ी करने में भी किया। दस्तावेजों और इंजीनियरों के बयान के आधार पर बताया गया कि उन्होंने लगभग 18.90 करोड़ रुपए बैंकिंग माध्यम से और करीब 10 करोड़ रुपए नकद रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में लगाए। कुल मिलाकर 28.90 करोड़ का निवेश दर्ज किया गया।
अकाउंट मैनेजमेंट सौंपा गया था सहयोगियों को
ईडी के मुताबिक, चैतन्य के अकाउंट्स का प्रबंधन अनवर ढेबर और नौकरशाह सौम्या चौरसिया करती थीं। एजेंसी ने उनकी व्हाट्सएप चैट का हवाला देते हुए बताया कि सौम्या कई बार अनिल टूटेजा और अरुण पति त्रिपाठी को “बिट्ट” नाम से निर्देश देती दिखीं।
इस पूरे प्रकरण में ईडी का आरोप है कि चैतन्य बघेल की भूमिका केवल सांकेतिक नहीं बल्कि सक्रिय और केंद्रीय रही है।